PATNA - 1988 बैच के IAS अधिकारी और मौजूदा चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किए जाने पर विवाद बढ़ गया है। जहां लोकसभा में विपक्ष के नेता ने उनकी नियुक्ति को गलत बताया है। वहीं अब तेजस्वी यादव ने इससे एक कदम आगे जाते हुए नए सीईसी को भाजपा का चीयर लीडर बता दिया है। साथ ही चुनाव आयोग को कैंसर कहा है।
तेजस्वी ने कहा कि दो टीमें मैच खेलती है तो अंपायर की भूमिका जैसी होती है, आयोग की वैसी होनी चाहिए। लेकिन, अब अंपायर ने ही चीयर लीडर का रूप ले लिया है।
छलका चुनाव में हारने का दर्द
इस दौरान तेजस्वी बिहार विस चुनाव में मिली हार का दर्द भी छिपा नहीं पाए। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में हम सरकार बनाएंगे, तब सबसे पहले चुनाव प्रक्रिया से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हटाएंगे। हम जीत रहे थे तो काउंटिंग रोक कर रात में रिजल्ट दिया ताकि ईवीएम से खेल किया जा सके। चुनाव आयोग तो अब कैंसर जैसा हो गया है।
राहुल गांधी ने कर दिया था खारिज
इससे पहले नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार ने पांच नाम राहुल गांधी के पास भेजे थे। लेकिन राहुल गांधी ने सभी को खारिज कर दिया। उनका कहना था कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बैठक कैसे बुलाई जा सकती है।
बता दें सीईसी की नियुक्ति के लिए बुलाई गए बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए। जिसके बाद राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि गले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति को लेकर बैठक थी। इसमें मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को डिसेंट (असहमति) नोट दिया था। इसमें लिखा था- मूलभूत बात यह है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में कार्यपालिका का कोई दखल नहीं होता।
लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि बाबा साहेब अंबेडकर और देश का निर्माण करने वाले नेताओं के आदर्श कायम रहें। आधी रात में पीएम और गृह मंत्री का CEC की नियुक्ति का फैसला असम्मानजनक है। CEC की नियुक्ति का फैसला तब लिया गया, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इस पर 48 घंटे के अंदर सुनवाई होनी है।