Tejpratap Yadav: तेजप्रताप यादव को मिला पार्टी में समर्थन, राजद सांसद सुधाकर सिंह ने कहा – 'वो बेगुनाह हैं, दूसरी शादी अपराध नहीं'

Tejpratap Yadav: तेजप्रताप यादव से जुड़े विवाद के बीच राजद सांसद सुधाकर सिंह ने उन्हें बेगुनाह बताते हुए उनका समर्थन किया है। जानिए उन्होंने क्या कहा और क्यों इसे राजद परिवारिक राजनीति का अहम मोड़ माना जा रहा है।

Tejpratap Yadav
तेजप्रताप यादव पर बोले राजद सांसद सुधाकर सिंह- फोटो : social media

Tejpratap Yadav: राजद विधायक तेजप्रताप यादव, जो हाल ही में एक लड़की के साथ वायरल तस्वीर और फिर पार्टी और परिवार से दूरी को लेकर चर्चा में रहे, अब उन्हें पार्टी के भीतर से सहानुभूति का पहला सार्वजनिक बयान मिला है।राजद सांसद सुधाकर सिंह, जो पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं, ने तेजप्रताप का समर्थन करते हुए उन्हें 'बेगुनाह' करार दिया है।

क्या कहा सुधाकर सिंह ने?

पटना में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि हिन्दू समाज में दूसरी, तीसरी या चौथी शादी कोई अपराध नहीं है। कई प्रतिष्ठित नेताओं ने भी दो विवाह किए हैं।उन्होंने तेजप्रताप यादव के फैसले को व्यक्तिगत और नैतिक रूप से वैध बताते हुए कहा कि हम समाजवादी हैं। डॉ. राममनोहर लोहिया को पढ़ते हैं। उन्होंने सप्त क्रांति में लिखा है कि धोखा और दुष्कर्म के सिवा हर स्त्री-पुरुष का संबंध वैध है।

पार्टी और पारिवारिक पृष्ठभूमि

हाल ही में तेजप्रताप यादव को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पार्टी से बाहर कर दिया था।उनके फेसबुक अकाउंट से एक लड़की के साथ तस्वीरें वायरल हुईं, जिसके बाद विवाद और गहराया।तेजप्रताप ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनका अकाउंट हैक किया गया है।इस विवाद के बाद तेजस्वी यादव, मीसा भारती और रोहिणी आचार्या ने भी तेजप्रताप से दूरी बना ली थी।

राजद सांसद का संदेश लालू प्रसाद को

सुधाकर सिंह ने कहा कि एक पिता के नाते, लालू प्रसाद यादव को तेजप्रताप के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। यह नैतिक या सामाजिक अपराध नहीं है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि यह राजद के आंतरिक विवादों के बीच एक सुलह या पुनःएकजुटता की संभावना की ओर संकेत करता है।

सामाजिक संदर्भ और दोहरी मान्यताएं

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर सामने ला दिया है कि भारतीय राजनीति में निजी जीवन और सार्वजनिक छवि का संघर्ष कितना तीव्र होता है।जहां एक ओर नैतिकता की दुहाई दी जाती है, वहीं दूसरी ओर निजता का सम्मान नहीं होता। सुधाकर सिंह का यह बयान न केवल तेजप्रताप के लिए समर्थन है, बल्कि यह भारतीय समाज की दोहरी सोच पर भी सवाल है।”