उपराष्ट्रपति चुनाव का तीन दलों ने किया बहिष्कार, 12 सांसदों ने नहीं डाला वोट, वोटिंग के दिन बड़ा खेला
तीन सियासी दलों ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाई है. वहीं कुल 12 सांसदों ने वोट नहीं डाला है. जानिए पूरा विवरण

Vice Presidential election : देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान जारी है, जिसमें एनडीए समर्थित उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला है। हालांकि, कुछ प्रमुख दलों ने इस चुनाव से दूरी बनाते हुए मतदान में भाग न लेने का फैसला किया है।
बीजेडी ने अपनाई ‘समान दूरी’ की नीति
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल (बीजेडी) ने मतदान से दूर रहने का ऐलान किया है। पार्टी ने कहा है कि यह निर्णय भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक—दोनों से बराबर दूरी बनाए रखने की नीति के तहत लिया गया है। गौरतलब है कि बीजेडी के पास राज्यसभा में 7 सांसद हैं, जबकि लोकसभा में पार्टी का कोई भी सांसद नहीं है।
अकाली दल की नाराज़गी बाढ़ प्रबंधन को लेकर
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाई है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि पंजाब में आई भारी बाढ़ के दौरान न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार ने कोई मदद की। एसएडी ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा, "जब भी देश पर संकट आया, पंजाब और पंजाबी हमेशा साथ खड़े रहे। लेकिन अब जब पंजाब अभूतपूर्व बाढ़ से जूझ रहा है, तब कोई आगे नहीं आया।" पार्टी की ओर से हरसिमरत कौर बादल इकलौती सांसद हैं, जो लोकसभा में बैठती हैं।
बीआरएस ने यूरिया संकट को लेकर जताया विरोध
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है। पार्टी ने कहा कि राज्य में यूरिया की भारी कमी के कारण किसान गंभीर संकट में हैं और इस पर केंद्र व राज्य सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा, "हम बीआरएस के सांसद चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। अगर नोटा (NOTA) का विकल्प होता, तो हम वही चुनते।" राज्यसभा में बीआरएस के चार सांसद हैं, जबकि लोकसभा में पार्टी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में बहुमत का आंकड़ा
उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 781 सांसद मतदान के पात्र हैं। लोकसभा की एक और राज्यसभा की छह सीटें खाली हैं, जिस कारण कुल निर्वाचक मंडल की संख्या घटकर 781 रह गई है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 391 पर पहुंचता है।