Indian Railways: त्योहारों की भीड़ में यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनों का सफर,खड़े होकर नहीं सोते हुए करें यात्रा, देखें नाम और नंबर
इस बार जब पटाखों की गूंज होगी, दीपों की रोशनी बिखरेगी और छठ की अरघ्य में सूरज डूबेगा तो कई परिवारों में सबसे बड़ा दीपक, सबसे उजली मुस्कान उन बेटों-बेटियों की होगी जो रेल की इन स्पेशल गाड़ियों से समय पर अपने घर पहुँच गए होंगे।...

Indian Railways: भारतीय जीवन में रेलगाड़ी सिर्फ लोहे की पटरियों पर दौड़ती मशीन भर नहीं है, यह करोड़ों दिलों की धड़कन और घर-परिवार से जुड़ने की डोर है। पर्व-त्योहारों के मौसम में जब घर लौटने की हड़बड़ी हर दिल में मचलने लगती है, तब टिकट खिड़कियों पर उमड़ती भीड़ अक्सर निराशा में बदल जाती है। पर इस बार तस्वीर कुछ अलग है। भारतीय रेलवे ने यात्रियों की धड़कनों को समझते हुए तीन दिन की लगातार छुट्टियों और आने वाले त्योहारों के मद्देनज़र राहत की सौगात दी है स्पेशल ट्रेनों की लंबी कतार।
पूर्वोत्तर रेलवे ने विशेष प्रयास करते हुए धनबाद, गया, मुजफ्फरपुर, राजगीर और अन्य शहरों से चलने वाली कई गाड़ियों की अवधि बढ़ा दी है। इन ट्रेनों का संचालन न सिर्फ कुछ दिनों के लिए बल्कि नवंबर-दिसंबर तक जारी रहेगा। इसका अर्थ यह है कि दशहरा, दिवाली और छठ जैसे बड़े पर्वों में घर लौटने का सपना अधूरा नहीं रह जाएगा। अब लोग भीड़भाड़ से जूझने के बजाय कंफर्म टिकट पर निश्चिंत सफर कर सकेंगे।
रेलवे की इस घोषणा में कई गाड़ियों का उल्लेख है, जो यात्रियों के लिए जीवनरेखा साबित होंगी। गाड़ी सं. 02832 भुवनेश्वर-धनबाद स्पेशल और 02831 धनबाद-भुवनेश्वर स्पेशल प्रतिदिन चलेंगी और यात्रियों को रोज़ाना की सुविधा देंगी। इसी तरह 03309 धनबाद-जम्मूतवी स्पेशल और 03310 जम्मूतवी-धनबाद स्पेशल हफ्ते के तय दिनों में चलेंगी, जिससे उत्तर भारत और पूर्वी भारत का रेल-संपर्क सहज बना रहेगा।
गया और दिल्ली की राह भी अब आसान हो गई है। 03697 गया-दिल्ली स्पेशल और 03698 दिल्ली-गया स्पेशल सप्ताह में छह दिन यात्रियों को सफर की राहत देंगी। वहीं, आनंद विहार और गया के बीच भी विशेष गाड़ियों की घोषणा की गई है, जिससे राजधानी से बिहार लौटने वालों के लिए खुशखबरी है।
यही नहीं, आध्यात्मिक यात्रा करने वालों के लिए भी रेलवे ने सोचा है। 03223 राजगीर-हरिद्वार स्पेशल और 03224 हरिद्वार-राजगीर स्पेशल धार्मिक यात्राओं को सरल बनाएंगी। श्रद्धालुओं के लिए यह गाड़ियाँ पर्व के मौसम में किसी आशीर्वाद से कम नहीं।
इन ट्रेनों के पीछे सिर्फ पटरियों पर दौड़ते पहियों की खनक नहीं है, बल्कि करोड़ों उम्मीदों का शोर है। छठ घाट की ओर जाती महिलाएं, दिवाली पर घर लौटते बेटे, दशहरे की छुट्टी में अपने गांव पहुंचने की लालसा रखने वाले कामगार सभी की मुस्कान अब रेलवे की इस पहल से जुड़ी है।
रेलवे का यह कदम यात्रियों के लिए एक तरह से "जीवन का पर्व" है। जहां भीड़ और बेबसी की जगह अब सहूलियत और भरोसा है। कंफर्म टिकट के साथ सुरक्षित और आरामदेह यात्रा की गारंटी है।
त्योहारों का मौसम वैसे ही दिलों को करीब लाने का समय होता है, और रेलगाड़ी इस रिश्ते को पटरियों पर और मजबूती से जोड़ देती है। रेलवे ने यह साबित किया है कि वह केवल एक विभाग नहीं, बल्कि भारतीय जनजीवन का संवेदनशील साथी है।