Patna News: नौबतपुर में 'कौशल' का कमाल, स्लम न सही, घोटाले पहुंचाए गए! गरीबों के शौचालय तक लूटे, फिर भी कुर्सी की चाह!
Patna News: नौबतपुर नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष ने विकास को एक नया अर्थ दे दिया। "विकास" यानी बजट आए, कागज़ों में काम हो, और बाकी सब ‘भविष्य’ के भरोसे छोड़ दिया जाए!आवास योजना की बात छोड़िए, यहाँ तो गरीबों के शौचालय भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।

Bihar News: राजधानी पटना के पास बसा नौबतपुर नगर पंचायत इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन वजह कोई विकास कार्य नहीं, बल्कि एक बार फिर से घोटालों का 'महाकुंभ'! निगरानी विभाग ने अपनी जांच में ऐसा खुलासा किया है कि सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। करोड़ों रुपये के घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर आ चुका है, और इस बार सात लोगों पर FIR की तलवार लटकी है। और हां, इस घोटाले के 'सुपरस्टार' हैं नौबतपुर नगर पंचायत के पूर्व और तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक! जी हां, वही कौशल कौशिक, जिनके नाम 6 साल पहले भी घोटालों का 'हिट गाना' बज चुका था, और पुलिस ने उन्हें पटना की सड़कों से उठाकर जेल की सैर कराई थी।
FIR का खुलासा
8 मई 2025 को निगरानी विभाग ने कौशल कौशिक और उनके 'सप्तऋषि गैंग' के खिलाफ FIR नंबर 25/2025 दर्ज की। 13 पेज की इस FIR में घोटालों की ऐसी फेहरिस्त है, मानो कोई स्क्रिप्ट राइटर ने भ्रष्टाचार की ब्लॉकबस्टर फिल्म लिख दी हो। आरोप है कि कौशल कौशिक और उनके साथियों ने गरीबों के आवास से लेकर शौचालय तक, हर योजना में 'हाथ की सफाई' दिखाई। नौबतपुर के गांवों में अब यही चर्चा है कि "कौशल जी ने तो कमाल कर दिया, स्लम न सही, घोटाला तो बना लिया!"
निगरानी विभाग ने 10 बड़े आरोपों की पुष्टि की है, और हर आरोप में रुपये की ऐसी लूट हुई कि सुनकर आपका सिर चकरा जाएगा। चलिए, आपको घोटाले का 'मेन्यू' सिलसिलेवार बताते हैं:
IHSDP का 'स्लम-ड्रामा':
IHSDP यानी स्लम विकास की योजना। लेकिन मजेदार बात ये कि नौबतपुर में स्लम है ही नहीं! फिर भी, कौशल कौशिक और उनकी टीम ने फर्जी कागजात बनाकर भारत सरकार से 49 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट हथिया लिया। इस पैसे से आवास, सामुदायिक भवन और शौचालय बनने थे, लेकिन बन गए सिर्फ घोटाले। दोषी? कौशल कौशिक और तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अनिता भारती।
टेंडर का तमाशा:
IHSDP का DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने के लिए बिना टेंडर के 'सरयू बाबू इंजीनियर्स फॉर रिसोर्स डेवलपमेंट, पटना' नाम की कंपनी को काम दे दिया गया। कौशल कौशिक ने अपने 'जादुई प्रभाव' से इस कंपनी को 94.83 लाख रुपये का भुगतान करवा दिया। निगरानी विभाग ने इस लूट में भी कौशल और अनिता को दोषी ठहराया।
फिर वही कंपनी, फिर वही लूट:
उसी IHSDP योजना में टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर फिर से सरयू बाबू की कंपनी को बिना टेंडर के 1.28 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। बिहार विज्ञापन नीति 2008 और बिहार वित्त नियमावली 2005 की धज्जियां उड़ाई गईं। दोषी? वही, कौशल और अनिता!
NGO की 'महात्मा' बाजीगरी:
सामुदायिक भागीदारी के लिए महिलाओं की नेबरहुड समितियों का गठन करना था, लेकिन यहां भी नियमों को ठेंगा दिखाया गया। एक नया NGO, 'महात्मा फुले वेलफेयर सोसायटी, नेऊरा' मैदान में आया, जिसका मालिक कौशल का खासमखास था। जहां 500 रुपये प्रति समूह देने थे, वहां 800 रुपये दिए गए। इस लूट में कौशल, अनिता, उपाध्यक्ष मीतू कुमारी, सदस्य सुरेंद्र प्रसाद और राजकुमार पासवान भी शामिल पाए गए।
बाकी 6 आरोपों का 'जलवा'
बाकी 6 आरोपों में भी 3 करोड़ रुपये से ज्यादा की लूट की पुष्टि हुई। हर योजना में यही कहानी—कागजों पर काम, जेब में पैसा!
नौबतपुर की जनता का गुस्सा
नौबतपुर जैसे छोटे से नगर पंचायत के लिए करोड़ों रुपये की लूट कोई छोटी बात नहीं। इन घोटालों की वजह से नए अध्यक्षों को विकास कार्यों के लिए पैसे जुटाने में पसीने छूट रहे हैं। जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर है, और चर्चा है कि कौशल कौशिक के 'कारनामों' ने पूरे नगर पंचायत को ऐसा जख्म दिया है, जो सालों तक नहीं भरेगा।
जहाँ आम आदमी ‘बाथरूम’ के लिए जूझ रहा है, वहीं खास लोग ‘बजट’ में नहा रहे हैं। विकास योजनाएं नहीं, घोटाले ही असली स्लम बन चुके हैं — बस फरक इतना है कि वहां झोपड़ियाँ नहीं, झूठ के महल खड़े हैं!बहरहाल कौशल कौशिक और उनके गैंग ने नौबतपुर को घोटालों का 'हब' बना दिया। सवाल ये है कि क्या इस बार भी वो बच निकलेंगे, या निगरानी विभाग की तलवार उनका 'कौशल' काट देगी? नौबतपुर की जनता इंतजार में है।