Kochadhaman Vidhansabha: कोचाधामन में कौन बनेगा किंग? मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा इम्तिहान

बिहार के किशनगंज जिले की कोचाधामन विधानसभा सीट, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 2020 में AIMIM ने जीत दर्ज की, लेकिन विधायक के RJD में शामिल होने से समीकरण बदल गए हैं।

Kochadhaman Vidhansabha

Kochadhaman Vidhansabha: कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में एक नया लेकिन बेहद अहम नाम है। इसका गठन 2010 में नए परिसीमन के बाद हुआ, जब इसे किशनगंज विधानसभा से अलग कर एक स्वतंत्र सीट का दर्जा दिया गया। यह किशनगंज जिले की छह विधानसभा सीटों में से एक है, लेकिन यहां की पहचान इसे बाकी सीटों से अलग बनाती है। यहां 72% से अधिक मुस्लिम आबादी और 100% ग्रामीण भूगोल है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।


इस क्षेत्र का पहला चुनाव 2010 में हुआ, जिसमें आरजेडी के अख्तरुल ईमान ने जीत दर्ज कर राजनीतिक शुरुआत की। लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिससे 2014 में उपचुनाव हुए। उस उपचुनाव में जेडीयू के मुजाहिद आलम ने जीत हासिल की और 2015 के आम चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत दोहराई। दिलचस्प यह रहा कि 2015 में उनका मुकाबला पूर्व विधायक अख्तरुल ईमान से था, जो इस बार AIMIM के टिकट पर उतरे थे, लेकिन हार गए।


साल 2020 के चुनाव ने कोचाधामन की राजनीति में बड़ा मोड़ ला दिया। AIMIM के मुहम्मद इज़हार असफी ने जीत दर्ज की और यह AIMIM के सीमांचल में उभार का प्रतीक बना। हालांकि 2022 में इज़हार असफी समेत AIMIM के चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे यह साफ हो गया कि सीमांचल की सियासत AIMIM और RJD के बीच झूल रही है, और कांग्रेस, जो कभी मजबूत दावेदार थी, अब पिछड़ती दिख रही है।


जनगणना और मतदाता डेटा की बात करें तो कोचाधामन में 2020 के मुताबिक कुल 2.5 लाख से अधिक मतदाता हैं। मुस्लिम मतदाता लगभग 1.8 लाख हैं, जो कुल मतदाताओं का 72.4% हिस्सा रखते हैं। अनुसूचित जाति की संख्या 20,511 (8.2%) और अनुसूचित जनजाति की संख्या 3,377 (1.35%) है। 100% ग्रामीण क्षेत्र वाला यह विधानसभा क्षेत्र विकास के सवालों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण दोनों में उलझा हुआ है। 2020 में यहां 64.64% मतदान हुआ था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा 65.46% और 2015 विधानसभा चुनाव में 66.01% था। मतदान केंद्रों की संख्या 2020 में 363 थी, जो 2024 के संसदीय चुनाव में घटकर 266 रह गई।


राजनीतिक इतिहास देखें तो 2010 से अब तक RJD, JDU और AIMIM ने यहां जीत दर्ज की है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा को मिलकार यहां हुए पिछले सात प्रमुख चुनावों में AIMIM सबसे ज्यादा (3 बार) आगे रही है, INC 2 बार, जबकि RJD और JD(U) एक-एक बार। यह दर्शाता है कि यहां वोटर पारंपरिक रूप से किसी एक पार्टी से बंधे नहीं हैं और हर चुनाव में समीकरण बदलते हैं।


अब 2025 की ओर बढ़ते हुए, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या RJD को AIMIM से आए विधायक की निष्ठा का फायदा मिलेगा या जनता बदलाव की फिर से मांग करेगी? क्या AIMIM फिर उभार दिखाएगी, या कांग्रेस वापसी की उम्मीद कर सकती है? और क्या भाजपा यहां कोई अप्रत्याशित चाल चलेगी? सीट भले ही 2010 में बनी हो, लेकिन कोचाधामन की राजनीति सदियों की पहचान, पहचान की सियासत और पहचान के संघर्ष का प्रतिबिंब है।