Baisi Vidhansabha: 2025 में बायसी किसके साथ? सीमांचल की सबसे साइलेंट सीट पर बड़ा सवाल

पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट, जहां मुस्लिम और हिंदू मतदाता मिलकर चुनावी समीकरण बनाते हैं। 2020 में AIMIM ने जीत दर्ज की, लेकिन विधायक के RJD में शामिल होने से समीकरण बदल गए हैं।

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Baisi  Vidhansabha:  पूर्णिया जिले की बायसी  विधानसभा सीट सीमांचल की राजनीति में एक ऐसा मोर्चा बन चुकी है, जहां हर चुनाव से पहले समीकरणों की गणित और गठबंधन की केमिस्ट्री दोनों ही दलों की नींद उड़ाती है। यहां मुसलमानों की बहुलता है, लेकिन निर्णायक स्थिति में हिंदू वोटर भी हैं, जो हर बार किसी न किसी को ‘सरप्राइज’ जरूर दे जाते हैं। 2020 में AIMIM के टिकट पर जीतने वाले सैयद रुकनुद्दीन अहमद 2022 में राजद में शामिल हो गए, जिससे इस सीट की राजनीतिक दिशा बदल गई।


बायसी सीट का इतिहास भी काफी दिलचस्प है। 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, और 2010 में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमाया। वहीं कांग्रेस और राजद, दोनों चार-चार बार जीत चुकी हैं, जो यह दिखाता है कि बैसी में पार्टी नहीं, बल्कि चेहरा, धर्म और जातीय समीकरण ज्यादा मायने रखते हैं।


यह सीट पूरी तरह ग्रामीण है, जहां 100% वोटर गांवों से आते हैं। 64.3% मुस्लिम मतदाताओं के साथ यह सीट ‘मुस्लिम वर्चस्व’ की मिसाल पेश करती है, लेकिन कोइरी, यादव और रविदास जैसी जातियां यहां राजनीतिक टक्कर को संतुलित बनाए रखती हैं। खास बात यह है कि यहां SC मतदाता 7.15% और ST मतदाता 1.76% हैं।


2020 के चुनाव में 65.35% वोटिंग हुई, जो सीमांचल के औसत से मेल खाती है। 2015 में ये आंकड़ा 65.44% और 2019 के लोकसभा चुनाव में 68.15% था। कुल मतदाता 2.73 लाख हैं, जिनमें से लगभग 1.4 लाख पुरुष, 1.27 लाख महिला, और 10 ट्रांसजेंडर वोटर शामिल हैं।


2020 में AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने 68,416 वोट लेकर बीजेपी के विनोद कुमार (52,043 वोट) को हराया। AIMIM की जीत ने साबित कर दिया कि सीमांचल की राजनीति अब सिर्फ पुराने फार्मूलों से नहीं जीती जा सकती, यहां नए चेहरों और स्थानीय कनेक्शन की अहमियत बढ़ गई है। लेकिन 2022 में रुकनुद्दीन सहित AIMIM के चार विधायक RJD में शामिल हो गए थे, जिससे AIMIM को बड़ा झटका लगा था। 


अब जबकि रुकनुद्दीन RJD में शामिल हो चुके हैं, सवाल ये है कि क्या AIMIM के पास कोई नया विकल्प होगा? या फिर BJP और कांग्रेस यहां से अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगी? ये सीट साफ तौर पर 2025 के विधानसभा चुनाव में एक हाई-वोल्टेज मुकाबले का गवाह बनने जा रही है।