Congress broke: नेहरू जयंती पर बिहार में एनडीए की आंधी के बाद टूट जाएगी कांग्रेस? महागठबंधन धराशायी होने पर आखिर क्यों जताई जा रही है ये आशंका

“नामदार जिस राह पर कांग्रेस को ले जा रहे हैं, उससे पार्टी में घोर निराशा और नाराज़गी पनप रही है। आशंका है कि कांग्रेस का एक और विभाजन सामने आ सकता है।”..

Will Congress Collapse
नेहरू जयंती पर बिहार में एनडीए की आंधी के बाद टूट जाएगी कांग्रेस? - फोटो : social Media

Congress broke: पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन बिहार की सियासत में ऐसा तूफ़ान उठा कि पूरा महागठबंधन हवा में बिखरता धुएँ का गुबार लगता दिखा। ऐतिहासिक जनादेश ने यह साफ़ कर दिया कि मतदाताओं ने इस बार बदलाव नहीं, बल्कि स्थायित्व और ठोस नीतियों को तरजीह दी है। एनडीए गठबंधन ने ऐसी विजय पताका फहराई कि विपक्ष का पूरा खेमा सियासी रेगिस्तान में भटकी कारवाँ की तरह दिखने लगा।

243 सीटों वाले सदन में 202 सीटें एनडीए की झोली में डालकर जनता ने यह संदेश दे दिया कि अब विकास के वादों को सिर्फ़ सुनना नहीं, बल्कि अमल में उतरते देखना चाहती है। भाजपा 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जदयू को 85 सीटें मिलीं। इधर महागठबंधन सिकुड़कर मात्र 36 सीटों पर सिमट गया—एक ऐसा नतीजा जिसने उसके दावों और दंभ, दोनों को ताश के पत्तों की तरह गिरा दिया।

जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर मंत्र की तरह वार करते हुए कहा कि कांग्रेस अब एक पार्टी नहीं, बल्कि “मुस्लिम-लीगी माओवादी कांग्रेस (MMC)” बन चुकी है। उन्होंने दावा किया कि इस नकारात्मक राजनीति से खुद कांग्रेस के भीतर ही नया विद्रोही धड़ा जन्म ले चुका है।

मोदी ने तीखे अंदाज़ में कहा कि नामदार जिस राह पर कांग्रेस को ले जा रहे हैं, उससे पार्टी में घोर निराशा और नाराज़गी पनप रही है। आशंका है कि कांग्रेस का एक और विभाजन सामने आ सकता है।

प्रधानमंत्री ने आँकड़ों का हथियार और धारदार बनाया पिछले छह विधानसभा चुनावों में कांग्रेस एक बार भी 100 सीट पार नहीं कर सकी, जबकि बिहार में अकेले एनडीए इसके बराबर सीटें जीत लाया।

मोदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस एक परजीवी संगठन बन चुकी है, जो अपने सहयोगियों के वोट बैंक को निगलकर दोबारा खड़े होने की फिराक में रहती है। बिहार में आरजेडी की खामोशी को उन्होंने “सांप सूंघ जाना” बताया।उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि छठ पूजा को ड्रामा बताने के लिए कांग्रेस आरजेडी ने आज तक माफ़ी नहीं मांगी, और बिहार की जनता इसे कभी नहीं भूलेगी।

इधर, कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी स्वीकार किया कि अब महज़ रैलियाँ काफी नहीं। उन्होंने कहा कि चुनाव बूथ स्तर पर गहरे जनसंपर्क और जमीनी रणनीति का खेल बन चुका है और कांग्रेस को अपने संगठन की रीढ़ दोबारा मजबूत करनी होगी।यह जनादेश सिर्फ़ जीत नहीं बिहार की जनता का सियासी फ़ैसला, चेतावनी और उम्मीद तीनों का संगम है।