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Bihar Bypoll : ‘रानी के पेट से नहीं बैलेट के बक्से से राजा पैदा होगा’... अपना ही गढ़ा नारा भूल गए लालू, परिवारवाद को ही पोस रहे भाजपा, मांझी, माया

वर्ष 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने खुद को सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा पैरोकार बताना शुरू कर दिया. इस दौरान लालू यादव की एक टिप्पणी सबसे ज्यादा चर्चित हुई कि ‘रानी के पेट से नहीं बैलेट के बक्से से राजा पैदा होगा’.

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bihar - फोटो : news4nation

Bihar Bypoll : वर्ष 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने खुद को सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा पैरोकार बताना शुरू कर दिया. इस दौरान लालू यादव की एक टिप्पणी सबसे ज्यादा चर्चित हुई कि ‘रानी के पेट से नहीं बैलेट के बक्से से राजा पैदा होगा’. लेकिन लालू यादव अब रानी के पेट से ही राजा पैदा करने के प्रतीक बन चुके हैं. तभी तो बेलागंज हो रामगढ़ दोनों ही जगहों पर लालू यादव ने परिवारवादी उम्मीदवारों को ही कार्यकर्ताओं पर तरजीह दी. बेलागंज उपचुनाव के सिलसिले में सदर ब्लॉक के निवासी रामनिवास यादव अपनी पीड़ा बयां करते हैं. news4nation ने इस बार के उपचुनाव में उम्मीदवारों को लेकर सवाल किया तो सुरेन्द्र यादव के बेटे के विश्वनाथ यादव के राजद प्रत्याशी बनने पर कई लोगों को यह राजद का परिवारवाद लगता है. 


रामनिवास यादव की तरह ही कई अन्य मतदाता भी यही मानते हैं कि राजनीतिक दल चाहे कोई भी सबमे परिवारवाद को तरजीह दी जा रही है. जैसे बेलागंज में विश्वनाथ यादव तो रामगढ़ में राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह उम्मीदवार हैं. अजित के भाई सुधाकर और विश्वनाथ के पिता सुरेन्द्र यादव पहले ही लोकसभा के लिए निर्वाचित हो चुके हैं. ऐसे में टिकट देने में राजद द्वारा कार्यकर्ताओं की जगह पार्टी के पहले निर्वाचित नेताओं के परिवारवालों को तरजीह देने से आम मतदाता चिंतित नजर आता है. 


हालाँकि पार्टी कार्यकर्ताओं की जगह नेताओं के बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट देने में कोई भी दल पीछे नहीं है. चाहे भाजपा हो या हम या फिर मायावती की बसपा. सभी दलों में परिवारवाद चरम पर है और इसका स्पष्ट उदाहरण उम्मदीवारों को देखकर ही पता लगता है. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इमामगंज में टिकट बंटवारे में परिवारवाद को बढ़ावा देने से आम मतदाता चिंतित दीखते हैं. यहाँ एनडीए समर्थित हम उम्मीवार दीपा मांझी हैं. इनके ससुर जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री जबकि पति संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं. इमामगंज के एक मतदाता कहते हैं कि परिवारवाद भारतीय लोकतंत्र में हावी होता जा रहा है जिसका उदाहरण इमामगंज में एनडीए प्रत्याशी हैं. 


हालाँकि परिवारवाद को बढ़ावा देने में भाजपा भी पीछे नहीं है. तरारी से भाजपा उम्मीदवार विशाल प्रशांत हैं जो पूर्व विधायक सह भाजपा नेता सुनील पांडे के पुत्र हैं. कुछ सप्ताह पूर्व ही सुनील पांडे ने अपने बेटे के साथ भाजपा का दामन थामा और अब उनके बेटे प्रत्याशी हैं. वहीं कैमूर के रामगढ़ विधानसभा सीट से अशोक कुमार सिंह भाजपा उम्मीदवार हैं. वहीं बसपा ने रामगढ़ के पूर्व विधायक अंबिका सिंह के भतीजे सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव को अपना कैंडिडेट बनाया है. इसी तरह बेलागंज में JDU की उम्मीदवार मनोरमा देवी के पति भी जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं. दिवंगत बिंदेश्वरी प्रसाद यादव की पत्नी मनोरमा देवी दो बार एमएलसी रह चुकी हैं.  इसी तरह से परिवारवाद के आरोप बिहार के अन्य राजनीतिक दलों पर भी लगते रहे है. इसी बार के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी से चिराग के अलावा उनके बहनोई भी सांसद बने हैं. 

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