Bihar Bypoll: जनसुराज ने क्यों उतारा बेलागंज से मुस्लिम उम्मीदवार, प्रशांत किशोर ने दिया लालू को सबसे बड़ा टेंशन, हैरान कर देगा पीके प्लान

प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने बेलागंज विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया है. मिर्जा ग़ालिब कॉलेज में एचओडी रह चुके हैं. इससे लालू यादव और सुरेन्द्र यादव को बड़ा झटका लग सकता है. इसका एक बड़ा कारण वहां की मुस्लिम आबाद

Belaganj bypoll

Bihar Bypoll: प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने बेलागंज विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया है. मिर्जा ग़ालिब कॉलेज में एचओडी रह चुके हैं. जनसुराज की ओर से शनिवार को उम्मदीवारों की सूची जारी की गई. इसमें प्रोफेसर खिलाफत हुसैन का नाम आने से बेलागंज में लालू यादव को बड़ा झटका लगने की संभावना है. प्रशांत किशोर का बेलागंज में किसी मुस्लिम को उम्मीदवार बनाने का फैसला एक खास रणनीति के तहत माना जा रहा है. बेलागंज के पीके प्लान से पिछले 34 वर्षों से लालू यादव- सुरेन्द्र यादव का अभेद किला माना जा रहा बेलागंज इस बार राजद के लिए बड़ी चिंता बन सकता है. 


दरअसल, प्रशांत किशोर ने बेलागंज के समीकरणों को साधने के लिए काफी सोच समझकर प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया है. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता संख्या करीब 2 लाख 87 हजार है. सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं जो करीब 70 हजार बताए जाते हैं. वहीं दूसरे नंबर पर  मुस्लिम वोटर 62 हजार हैं. इसके अतिरिक्त ब्राह्मण 5 हजार, भुमिहार 20 हजार, राजपूत 15 हजार, कोयरी-दांगी 25 हजार, बनिया 10 हजार, अनुसूचित जाति 50 हजार, अत्यंत पिछड़ी जाति 10 हजार, अन्य पिछड़ी जाति 20 हजार हैं. 


पीके का बड़ा चाल : माना जा रहा है कि बेलागंज में मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक संख्या को देखते हुए ही पीके ने जनसुराज के टिकट पर प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया है. बेलागंज में वर्ष 1990 से लगातार 8 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले लालू यादव के खास सुरेन्द्र यादव के चुनावी जीत के पीछे यादव-मुस्लिम गठजोड़ को माना जाता है. लेकिन प्रोफेसर खिलाफत हुसैन के उतरने से लालू यादव के एम-वाई समीकरण में पीके की सेंधमारी होनी तय मानी जा रही है. मुसलमानों के साथ ही कुछ अन्य जातियों को अगर पीके गोलबंद करने में सफल रहते हैं तो बेलागंज में बड़ा बदलाव हो सकता है. 

Nsmch


2005 में दिखा था असर : मुस्लिम उम्मीदवार उतरने से वर्ष 2005 में भी लालू यादव के लिए बेलागंज में चुनौती दिखी थी.  2005 के चुनाव के मो. अमजद लोजपा के उम्मीदवार थे. जीत भले ही सुरेन्द्र यादव की हुई थी लेकिन मो. अमजद ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रहे. वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में मो. अमजद ने जदयू प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमाई.  मो. अमजद को 48441 वोट मिले थे, जबकि 52079 वोट लाकर सुरेंद्र यादव उस समय भी चुनाव जीत गए थे. ऐसे में पीके द्वारा अब  प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाने से एक बार फिर से मुस्लिम गोलबंद हुए तो वर्ष 2005 और 2010 की तरह एक रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. 


राजद का किला : विधानसभा उपचुनाव में बिहार की बेलागंज सीट राजद की प्रतिष्ठा के साथ ही सुरेन्द्र यादव के लिए भी गढ़ बचाने की चुनौती है. वर्ष 1990 के बाद से बेलागंज और सुरेन्द्र यादव एक दूसरे के पूरक बन गए. यानी तब से अब तक बेलागंज विधानसभा सीट पर लगातार आठ बार सुरेन्द्र यादव ने जीत हासिल की. प्रतिद्वंद्वी कोई भी लेकिन पिछले 34 से बेलागंज सुरेन्द्र यादव का अभेद किला बना हुआ है. इस बार सुरेन्द्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को यहां से राजद उम्मीदवार बनाया जा सकता है. वहीं जदयू की ओर से कुछ नामों पर चर्चा है. 

Editor's Picks