Bihar News : लालू यादव ने वर्ष 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार जिन दो वर्गों को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखा उसमें मुसलमान और यादव रहे. यानी एमवाई समीकरण बिहार में राजद के रीढ़ माने गए. लेकिन इसी एमवाई पर राजद की पकड़ पिछले कुछ वर्षो में कमजोर हुई और नतीजा रहा कि राजद को चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव दोनों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली. ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी ने एक बार फिर से अपने एमवाई समीकरण को मजबूत करने के लिए बड़ी रणनीति बनाई है. इसमें सिवान के शहाबुद्दीन परिवार की राजद में घर वापसी ने लालू-तेजस्वी की उम्मीदों को बढ़ा दिया है.
दरअसल, शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और बेटे ओसामा ने रविवार को राजद की सदस्यता ग्रहण की. तेजस्वी ने दोनों के राजद में आने के बाद ऐलान किया कि इससे हमारा दल काफी मजबूत होगा. आज जो स्थिति उस स्थिति में हम लोगों को एक साथ रहना है और इसीलिए ओसामा के साथ-साथ हिना शहाब हम लोगों के साथ आई हैं. इससे सिवान के साथ-साथ पूरे बिहार में पार्टी को बहुत फायदा होगा पार्टी बहुत मजबूत होगी.
तेजस्वी ने हिना और ओसामा के राजद में आने के बाद अपने दल की मजबूती को लेकर जो विश्वास जताया है उसके पीछे बिहार में जातीय समीकरण बेहद अहम है. बिहार में मुस्लिम आबादी 17% के आसपास है. बिहार की कुल आबादी करीब 13 करोड़ से ज्यादा है. 2 अक्टूबर 2023 को जारी जातीय गणना रिपोर्ट के अनुसार बिहार में मुस्लिम की संख्या 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 जो 17% के आसपास है. ईसाई की संख्या 75,238, सिख की 14753, बौद्ध की 1,11,201 और जैन की संख्या 12,523 है. बिहार के जातीय गणना के आंकड़े के अनुसार कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी, ईबीसी हैं.
वहीं बिहार में यादव जाति राज्य की आबादी का लगभग 14.26 प्रतिशत है. यादव को बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल किया गया है. ऐसे में 17 फीसदी मुस्लिम और 14.26 फीसदी यादव आबादी पर अगर लालू यादव और तेजस्वी यादव मजबूत पकड़ बना लेते हैं तो इससे उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में बड़ा फायदा हो सकता है. शहाबुद्दीन ने अपने निधन के पहले राजद के पक्ष में मुस्लिमों को गोलबंद करने में अहम भूमिका निभाई थी. अब हिना शहाब और ओसामा के राजद में आने से फिर से लालू-तेजस्वी को उम्मीद है कि वे इनके सहारे मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत करेंगे.