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Bihar Vidhansabha : CAG रिपोर्ट से खुला बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का राज, डॉक्टरों के 55 फीसदी पद रिक्त, स्वास्थ्य विभाग में 49 % पद खाली, दवा और जांच की भी कमी

47 अनुमंडलो में अनुमंडलीय अस्पताल (एसडीएच) उपलब्ध नहीं थे। स्वास्थ्य विभाग ने 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में से 399 को सीएचसी में उन्नयन करने की मंजूरी दी लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया.

CAG report on Bihar
CAG report on Bihar- फोटो : news4nation

Bihar Vidhansabha :बिहार में आबादी के अनुरूप 1 लाख 24 हजार 919 एलोपैथिक डॉक्टरों की जरूरत है लेकिन राज्य में केवल 58 हजार144 एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध थे. बिहार सरकार ने गुरुवार को साल 2016 से 2022 तक के CAG की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण संरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर प्रतिवेदन में यह आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग में रिक्तियों और कमियों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि विभाग के कार्यालयों अर्थात स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, राज्य औषधि नियंत्रक, खाद्य सुरक्षा स्कंध, आयुष और मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों (एमसीएच) में 49 प्रतिशत रिक्तियां रहीं. 


बिहार में, मार्च 2022 तक 12.49 करोड़ की अनुमानित आबादी के सापेक्ष, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अनुशंसा को पूरा करने के लिए 1,24,919 एलोपैथिक डॉक्टरों (प्रति 1,000 आबादी पर एक) की आवश्यकता थी, जिसके सापेक्ष जनवरी 2022 तक केवल 58,144 (1:2.148) एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध थे। वहीं स्वीकृत बल के सापेक्ष स्टॉफ नर्स की कमी 18 प्रतिशत (पटना) से 72 प्रतिशत (पूर्णिया) तक थी। स्वीकृत बल के मुकाबले पैरामेडिक्स की कमी 45 प्रतिशत (जमुई) से 90 प्रतिशत (पूर्वी चंपारण) तक थी।


इसी तरह आयुष स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों में कर्मचारियों के सभी संवर्गों में 35 प्रतिशत से 81 प्रतिशत तक की उल्लेखनीय कमी थी। स्वास्थ्य सेवाओं के विभिन्न स्तरों पर आवश्यक मानवबल की भर्ती के लिए नियुक्त मानव संसाधन एजेंसी ने 82 प्रकार के 24,496 पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किये (अक्टूबर 2019-जनवरी 2021)। हालांकि, 35 प्रकार के 13,340 पदों के लिए भर्ती जनवरी 2022 तक लंबित थी।


47 अनुमंडलो में अनुमंडलीय अस्पताल नहीं 

स्वास्थ्य उप-केंद्र (एचएससी) स्तर से लेकर रेफरल अस्पताल (आरएच) / सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाओं की काफी कमी थी। इसके अलावा, 47 अनुमंडलो में अनुमंडलीय अस्पताल (एसडीएच) उपलब्ध नहीं थे। स्वास्थ्य विभाग ने 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में से 399 को सीएचसी में उन्नयन करने की मंजूरी दी (मार्च 2007 से फरवरी 2010) लेकिन कार्यकारी एजेंसी अर्थात बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड ने मार्च 2022 तक केवल 191 पीएचसी में भवनों का निर्माण कार्य पूरा किया था।


रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग ने 198 पीएचसी को सीएचसी में उन्नयन करने के लिए बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) को ₹ 257.02 करोड़ की निधि प्रदान की (अप्रैल 2011 से नवंबर 2015) लेकिन काम 93 स्थानों पर शुरू किया गया और भवनों के निर्माण के केवल 67 कार्य पूरे किये जा सके थे।  कुल 1,932 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (एपीएचसी) में से. 846 (44 प्रतिशत), 24X7 आधार पर काम नहीं कर रहे थे। इसके अलावा, केवल 566 (29 प्रतिशत) में प्रसव कक्ष था. 276 (14 प्रतिशत) में ऑपरेशन थिएटर था (हालांकि दिशानिर्देशों के अनुसार अनिवार्य) और केवल 533 (28 प्रतिशत) में छः बिस्तरों की आवश्यकता के सापेक्ष कम से कम चार बिस्तर थे ।


रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि राज्य में 7,974 के लक्ष्य के मुकाबले मार्च 2022 तक केवल 4.129 (52 प्रतिशत) स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) थे . 

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