Jan Suraj Candidates nongraduate : जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर लगातार बिहार के नेताओं के कम पढ़े लिखे होने को लेकर तंज सकते हैं. यहां तक कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेटे और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को 9वीं फेल बताकर उन पर तंज कसते हैं. लेकिन जब प्रशांत किशोर को अपने दल से चुनाव में उतारने के लिए उम्मीदवार चयन करने का मौका आया तो उन्होंने भी मैट्रिक और इंटरमीडिएट पास चेहेरों को ही सबसे काबिल बताकर जनता के समक्ष उतार दिया. यहां तक कि जिस उम्मीदवार को डॉक्टर और शिशु रोग विशेषज्ञ बताया गया वह भी मात्र इंटरमीडिएट पास हैं. पीके को चार प्रत्याशी चुनने में एक भी ऐसा चेहरा नहीं मिला जो कम से कम ग्रेजुएट हो जबकि पिछले कई महीनों से लगातार वे बिहार में पढ़े लिखे लोगों को राजनीति में लाने के दावा करते रहे.
भले ही प्रशांत किशोर ने नारा दिया है- 'सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास से ही जनसुराज संभव' जबकि उनके दल से जो भी उम्मीदवार हैं उनके पढ़ाई-लिखाई रिकॉर्ड पीके के नारे के मिथक को तोड़ता है. पीके के उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में बताया है कि कोई भी उम्मीदवार ग्रेजुएट नहीं है. बड़ी मुश्किल से उनके उम्मीदवारों ने मैट्रिक और इंटरमीडिएट पास की है.
बेलागंज से जनसुराज ने मोहम्मद अमजद को प्रत्याशी बनाया है. दंगा करने का साजिश, आपराधिक धमकी, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली की धमकी जैसे आरोपों से घिरे मोहम्मद अमजद की पढ़ाई भी मात्र मैट्रिक तक है. इसी तरह इमामगंज से जनसुराज प्रत्याशी जितेन्द्र पासवान को पीके ने डॉक्टर बताया है. लेकिन इंटरमीडिएट तक पढ़े लिखे जितेन्द्र एक ग्रामीण प्रेक्टिसनर हैं. वहीं जनसुराज ने उन्हें शिशु रोग विशेषज्ञ बताया है. ऐसे में इंटर की पढ़ाई किए जितेन्द्र पासवान कैसे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं यह अपने आप में हास्यास्पद हैं.
रामगढ़ से पीके ने सुशील कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. पढाई लिखाई के मामले में सुशील सिंह मात्र इंटरमीडिएट तक पढ़े लिखे हैं. इसी तरह तरारी से पीके के प्रत्याशी किरण सिंह मात्र इंटरमीडिएट तक पढ़ी हैं. यानी भले ही पीके बार बार तेजस्वी यादव सहित बिहार के अन्य नेताओं की पढाई को लेकर उनके खिलाफ तंज कसते हों लेकिन जब उन्हें यह मौका मिला तो पीके भी पढ़ाई-लिखाई में जीरो वाले उम्मीदवार ही उतार पाए.