Prashant Kishor : बिहार में चार विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में जनसुराज ने बड़े बदलाव के दावे के साथ उम्मीदवारों को उतारा है. लेकिन, प्रशांत किशोर के दल ने जिन लोगों को उम्मीदवार बनाया है उनकी छवि दागदार है. पीके के प्रत्याशियों पर हत्या की कोशिश, अपहरण, धोखाधड़ी, दंगा के आरोप हैं. यानी भले ही प्रशांत किशोर ने नारा दिया है- 'सही लोग, सही सोच और सामूहिक प्रयास से ही जनसुराज संभव' जबकि उनके दल से जो भी उम्मीदवार हैं उनके अपराध का रिकॉर्ड पीके के नारे के मिथक को तोड़ता है. पीके के उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में अपने अपराध के रिकॉर्ड का खुलासा किया है.
बेलागंज से जनसुराज ने मोहम्मद अमजद को प्रत्याशी बनाया है. उनके खिलाफ लंबित अपराधिक मामले की संखया 5 है. इसमें हत्या के प्रयास से जुड़े मामले के साथ ही रंगदारी ,मारपीट , हमला आदि का अपराध जुड़ा है. दंगा करने का साजिश, आपराधिक धमकी, दंगा कराना, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली की धमकी जैसे आरोपों से घिरे मोहम्मद अमजद की पढ़ाई भी मात्र मैट्रिक तक है.
इमामगंज से जनसुराज प्रत्याशी जितेन्द्र पासवान को पीके ने डॉक्टर बताया है. लेकिन इंटरमीडिएट तक पढ़े लिखे जितेन्द्र एक ग्रामीण प्रेक्टिसनर हैं. वहीं जनसुराज ने उन्हें शिशु रोग विशेषज्ञ बताया है. ऐसे में इंटर की पढ़ाई किए जितेन्द्र पासवान कैसे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं यह अपने आप में हास्यास्पद हैं. इतना ही नहीं जितेन्द्र के खिलाफ अपहरण,धोखाधरी, मारपीट, चोरी के मामले भी दर्ज हैं.
रामगढ़ से पीके ने सुशील कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. उनके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का मामला दर्ज है. साथ ही मारपीट और चेक बाउंस का मामला भी सुशील सिंह के खिलाफ है. वहीं पढाई लिखाई के मामले में भी सुशील सिंह मात्र इंटरमीडिएट तक पढ़े लिखे हैं. इसी तरह तरारी से पीके के प्रत्याशी किरण सिंह मात्र इंटरमीडिएट तक पढ़ी हैं. प्रशांत किशोर के चार प्रत्याशियों में सिर्फ किरण ही एक मात्र ऐसी हैं जिन पर कोई मामला दर्ज नहीं है.