Sankara Nethralaya : दुनिया के सबसे बेतरीन आंख अस्पतालों में शीर्ष में शुमार शंकर नेत्रालय अब पटना में भी अपनी सेवाएं देगा. यानी बिहार के लोगों को शंकर नेत्रालय में उपचार कराने के लिए अब चेन्नई और कोलकाता जाने की जरूरत नहीं होगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इसे लेकर बड़ा कदम बढ़ाया गया. कैबिनेट बैठक में पटना के कंकड़बाग में शंकर नेत्रालय की स्थापना के लिए भूखंड आवंटित करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए शंकरा आई फाउण्डेशन इंडिया, कोयम्बटूर को एक रूपये मात्र की टोकन राशि में 99 वर्ष की लीज पर 1.60 एकड़ जमीन दिए जाने में कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई.
कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि अति विशिष्ट नेत्र अस्पताल की स्थापना एवं संचालन हेतु बिहार राज्य आवास बोर्ड, पटना के कंकड़बाग अवस्थित भू-खण्ड रकबा 1.60 एकड़ को स्वास्थ्य विभाग, बिहार, पटना को हस्तांतरित करने हेतु 48.00 (अड़तालीस) करोड़ की राशि स्वीकृत की जाती है. उक्त भूमि का स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरण एवं स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से नामांकन के आधार पर 99 वर्ष की लीज पर शंकरा आई फाउण्डेशन इंडिया, कोयम्बटूर को एक रूपये मात्र की टोकन राशि में सशर्त उपलब्ध कराने को मंजूरी दी गई.
शंकर नेत्रालय का इतिहास :
1976 में कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती ने डॉक्टरों के एक समूह को संबोधित करते हुए भारत में एक आँख स्पताल बनाने की आवश्यकता के बारे में बात की थी। सेंगमेदु श्रीनिवास बद्रीनाथ के नेतृत्व में परोपकारियों के एक समूह ने तमिलनाडु की राजधानी मद्रास (चेन्नई) में एक धर्मार्थ गैर-लाभकारी नेत्र अस्पताल की स्थापना की. सितंबर 1978 को विनायक चतुर्थी के दिन अस्पताल अस्तित्व में आया. इसका नाम शंकर नेत्रालय या "आंखों का मंदिर" रखा गया.
इन शहरों में शंकर नेत्रालय
शंकर नेत्रालय के चेन्नई, कोलकाता और रामेश्वरम में पाँच केंद्रों के अलावा कई अन्य शहरों में शाखाएं शुरू किया है. शंकर नेत्रालय अस्पताल अब बेंगलुरु, तिरुपति, आंध्र प्रदेश, झारखंड में टीटीडी श्री श्रीनिवास शंकर नेत्रालय और मोबाइल नेत्र शल्य चिकित्सा इकाई के रूप में मौजूद है. वहीं जल्द ही शंकर नेत्रालय पटना में भी नजर आएगा.