Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर का बिहार के माता-पिता पर चढ़ा खुमारा, गर्व से कर दिया ऐसा काम, जिसकी अब हर जगह हो रही चर्चा
Operation Sindoor: सीतामढ़ी में एक नवजात बच्ची का नाम 'सिंदूरी' रखा गया, ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित होकर। जानिए कैसे भारतीय सेना के शौर्य ने एक सामान्य परिवार को देशभक्ति की नई परिभाषा दी।

Operation Sindoor: 7 मई को भारतीय सेना द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चर्चा अब सीमाओं से आगे बढ़कर आम जनमानस के दिलों तक पहुंच चुकी है। देशभर में इस सैन्य कार्रवाई की सराहना हो रही है, लेकिन बिहार के सीतामढ़ी जिले से आई एक खबर ने इस देशभक्ति की भावना को एक जीवंत रूप दे दिया है।यह कहानी है एक नवजात बच्ची की, जिसे जन्म के साथ ही मिला ऐसा नाम जो आने वाले वर्षों तक देश की वीरगाथा की याद दिलाता रहेगा 'सिंदूरी'।
सीतामढ़ी के गुड्डू और गीता ने बेटी का नाम रखा 'सिंदूरी'
सीतामढ़ी जिले के बैरगिनिया निवासी गुड्डू साह और उनकी पत्नी गीता देवी गुरुवार को सदर अस्पताल में एक बेटी के माता-पिता बने। बच्ची का जन्म सुबह 11:20 बजे हुआ। जैसे ही बच्ची की पहली किलकारी गूंजी, अस्पताल का प्रसव वार्ड खुशी और देशभक्ति की लहरों से भर गया।
गुड्डू साह ने बताया कि उन्होंने जैसे ही भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की खबर और उसके प्रभाव के बारे में जाना, उनका मन गर्व से भर उठा। उन्होंने कुछ देर अपने परिवार और पत्नी से बात की और बच्ची का नाम ‘सिंदूरी’ रखने का निर्णय लिया।अस्पताल प्रबंधन को जब यह बात पता चली, तो अस्पताल प्रबंधक कौशल दुबे स्वयं माता-पिता को बधाई देने वार्ड पहुंचे और इस देशभक्ति भरे फैसले की सराहना की।
शौर्य, सम्मान और एक मां की संकल्पना
बच्ची की मां गीता देवी ने कहा कि आतंकवादियों ने महिलाओं के सिंदूर की महत्ता को नहीं समझा, जब उन्होंने पत्नियों के सामने उनके पतियों को मार डाला। लेकिन भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए यह बता दिया कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने गर्व से कहा कि अगर अवसर मिला, तो वे अपनी बेटी को भारतीय सेना में सेवा के लिए भेजेंगी।उनके इस बयान के बाद वार्ड में उपस्थित सविता कुमारी सहित सभी नर्सिंग स्टाफ ने उनका उत्साहवर्धन किया और बेटी के भविष्य को लेकर शुभकामनाएं दीं।
ऑपरेशन सिंदूर से जन्मी एक नई पीढ़ी की प्रेरणा
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर अब सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्रव्यापी भावनात्मक आंदोलन बन चुका है। ‘सिंदूरी’ अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि शौर्य, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है।यह देश के हर नागरिक को यह याद दिलाता रहेगा कि जब भारत के वीर जवान सीमाओं पर लड़ रहे होते हैं, तब उनके साहस से प्रेरणा लेकर देश के नागरिक अपने-अपने स्तर पर राष्ट्रीय गौरव को जीवंत रखते हैं।