Ram-Janaki road project: राम नवमी के पावन अवसर पर मोदी सरकार ने बिहार को दिया ऐतिहासिक तोहफा! भगवान राम की नगरी अयोध्या से जुड़ने के लिए बिछेगा सड़कों का जाल

राम नवमी पर केंद्र सरकार ने बिहार को बड़ी सौगात दी है। 6155 करोड़ की लागत से सीतामढ़ी और अयोध्या को जोड़ने वाली फोरलेन राम-जानकी सड़क परियोजना को मंजूरी मिल गई है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है।

Ram-Janaki road project: राम नवमी के पावन अवसर पर मोदी सरकार
expressway news- फोटो : social media

Ram-Janaki road project: राम नवमी के पावन अवसर पर केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार को एक ऐतिहासिक तोहफा दिया है। सीतामढ़ी, जिसे माता जानकी की जन्मभूमि माना जाता है, अब सीधे भगवान राम की नगरी अयोध्या से जुड़ने जा रही है. इस एक फोरलेन सड़क परियोजना के माध्यम से जिसे राम-जानकी पथ कहा जा रहा है।इस सड़क के बनने से न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी नई दिशा और रफ्तार मिलेगी।

परियोजना का विस्तृत विवरण: राम-जानकी मार्ग

यह सड़क उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा के नजदीक मेहरौना घाट से शुरू होकर सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर होते हुए सीतामढ़ी के भिट्ठा मोड़ तक जाएगी। पूरी सड़क की लंबाई 240 किलोमीटर होगी और यह 70 मीटर चौड़ी फोरलेन होगी। इसको बनाने में कुल ₹6155 करोड़ की लागत लगेगी। इसे मेहरौना घाट (उत्तर प्रदेश सीमा) से लेकर भिट्ठा मोड़, सीतामढ़ी तक बनाया जाएगा। इसे परियोजना का लाभ सीवान, मशरख, चकिया, पुनौराधाम को भी मिलेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एलाइनमेंट अप्रूवल कमेटी ने इस परियोजना को आंशिक संशोधन के साथ स्वीकृति दी है। बैठक में बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे।

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राम-जानकी पथ फोरलेन परियोजना

राम-जानकी पथ फोरलेन परियोजना में मेहरौना से सीवान तक 40 किमी  और सीवान से मशरख (52 किमी) के टेंडर पहले ही जारी हो चुके हैं। ब सरकार ने मशरख से चकिया (48 किमी) और चकिया से भिट्ठा मोड़ (103 किमी) के एलाइनमेंट को भी हरी झंडी दे दी है। सीतामढ़ी बाईपास को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि पुनौराधाम सीधे इस मार्ग से जुड़ सके, जिससे श्रद्धालुओं के लिए सुविधा और बढ़ेगी। फोरलेन रोड बनान के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। उसके बाद शेष हिस्सों का टेंडर जारी होगा। इसको बनाने के लिए ढाई से तीन साल का लक्ष्य रखा गया है।

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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह परियोजना सिर्फ सड़क नहीं है, यह एक आध्यात्मिक पुल है – जो भगवान राम और माता सीता के धार्मिक स्थलों को जोड़ने का काम करेगी। इससे होंगे कई लाभ जिससे अयोध्या और सीतामढ़ी के धार्मिक स्थलों का सीधा संपर्क संभव हो जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए यात्रा में आसानी और सुविधा होगी। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके माध्यम से स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी। सांस्कृतिक एकता को बल मिलेगा। यह मार्ग रामायण सर्किट का अहम हिस्सा बन सकता है, जिसे केंद्र सरकार पहले से ही प्रोत्साहित कर रही है।

धार्मिक विरासत और संस्कृति को जोड़ने का माध्यम

राम-जानकी पथ सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि धार्मिक विरासत और संस्कृति को जोड़ने का माध्यम है। राम नवमी जैसे पावन पर्व पर इस परियोजना की घोषणा अपने आप में एक बड़ा सांस्कृतिक संकेत है कि भारत अपनी जड़ों से जुड़कर विकास की ओर अग्रसर है।यह सड़क आने वाले समय में धार्मिक पर्यटन, आर्थिक प्रगति और क्षेत्रीय संपर्क के नए रास्ते खोलेगी। एक भारत – श्रेष्ठ भारत की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।