Bihar Flood: बिहार में बढ़ता जा रहा है बाढ़ का कहर, गंगा नदी के पानी में डूबे कई गांव और घर, खेत डूबे, चारा खत्म, गांव छोड़ने को मजबूर लोग

Bihar Flood: बिहार में बाढ़ का कहर बढ़ता हीं जा रहा है। वहीं गंगा नदी के पानी के चपेट में आने से कई गांव के लोगों की परेशानी में इजाफा हो गया है।

Bihar Flood
गंगा नदी के पानी में डूबे कई गांव- फोटो : reporter

Bihar Flood: नेपाल में भी भारी वर्षा के कारण बिहार से होकर बहने वाली सभी नदियों में उफान आ गया है। गंगा नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जलस्तर में  वृद्धि ने देसरी प्रखंड के गनियारी टोला को संकट में डाल दिया है। यह गांव गंगा नदी से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर बांध किनारे बसा है और अब गांव की संपर्क पथ पर लगभग 8 फीट तक पानी चढ़ चुका है। इससे गांव का मुख्य रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है और लोग गांव छोड़कर ऊंचे इलाकों की ओर पलायन करने लगे हैं।

गनियारी टोला में करीब 65 परिवार रहते हैं और सभी का जीवन खेती-बाड़ी और पशुपालन पर निर्भर है। लेकिन गंगा के बढ़ते जलस्तर ने उनकी पूरी फसल डुबो दी है। खेतों में उगा चारा पानी में बह गया है और पशुओं को खिलाने के लिए अब कुछ भी नहीं बचा।कई किसान अपने मवेशियों को ऊपरी इलाकों में ले जाकर अस्थायी शरण दे रहे हैं, लेकिन वहां भी न तो चारा है, न ठिकाना।

गांव में चारों तरफ गंगा का पानी पसरा है। लोग अपने घरों का सामान, बच्चों और मवेशियों को लेकर सुरक्षित जगहों की तलाश में निकल चुके हैं। गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, और स्वास्थ्य सुविधाएं भी ठप हो चुकी हैं। संपर्क पथ जलमग्न हो जाने से कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंच पा रहा।गनियारी टोला से कुछ ही दूरी पर रामदौली सूरदास घाट, जो कि बिदुपुर प्रखंड के अंतर्गत आता है, वहां भी पिछले तीन दिनों में गंगा नदी का जलस्तर अचानक काफी बढ़ गया है। अब सड़क और गंगा नदी एक-दूसरे से सटी दिख रही हैं। वहां के किसान भी चारे और फसलों की पूरी बर्बादी का सामना कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से तत्काल राहत और पुनर्वास सहायता की मांग की है।अब तक कोई स्थायी राहत शिविर नहीं बना है और लोग खुले आसमान के नीचे या स्कूलों में अस्थायी तौर पर टिके हुए हैं।गंगा के इस कहर ने एक बार फिर दिखा दिया है कि तटवर्ती गांवों में रहने वाले किसानों और पशुपालकों के लिए प्राकृतिक आपदा सिर्फ जल भराव नहीं, बल्कि जीवन की जंग होती है।

रिपोर्ट- ऋषभ कुमार