Bihar assemebly election - एक ही जिले के दो सीटों पर कांग्रेस और राजद आमने सामने, महागठबंधन में फूट आ गई सामने

Bihar assemebly election - एक ही जिले के दो सीटों पर कांग्रे

Vaishali - बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मची खींचतान अब वैशाली जिले में खुलकर सामने आ गई है। जिले की दो महत्वपूर्ण सीटों— वैशाली और लालगंज— पर महागठबंधन के दो प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के उम्मीदवार आमने-सामने आ गए हैं। नामांकन के अंतिम दिन दोनों सीटों पर 'दोहरी' दावेदारी ने विपक्षी खेमे में फूट की आशंका को बल दिया है।

दरअसल, कांग्रेस उम्मीदवार संजीव सिंह ने पहले ही वैशाली सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। लेकिन आज अचानक आरजेडी के उम्मीदवार अजय कुशवाहा भी अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और उन्होंने भी नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया। इस दोहरी उम्मीदवारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैशाली में महागठबंधन का गणित पूरी तरह से दरक चुका है।

'राजद ही महागठबंधन को लीड कर रही है'

नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया से बात करते हुए आरजेडी उम्मीदवार अजय कुशवाहा ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि "बिहार में राजद ही महागठबंधन को लीड कर रही है और उसी पार्टी ने मुझे उम्मीदवार बनाया है।"कुशवाहा ने दावा किया कि 14 नवंबर का दिन ऐतिहासिक होगा, जब युवाओं के आईकॉन तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने मतदाताओं में किसी भी प्रकार की उलझन से इनकार करते हुए कहा कि आने वाली 14 तारीख को बिहार में तेजस्वी यादव की ही सरकार बनने जा रही है।

लालगंज में यही स्थिति

इससे पहले लालगंज में भी आज कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। इस सीट से आरजेडी ने जेल में बंद बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिन्होंने आज नामांकन दाखिल किया। वहीं, कांग्रेस ने लालगंज सीट से आदित्य कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने पहले ही नॉमिनेशन दे दिया था।

दोनों में कोई पीछे हटने को तैयार नहीं

लालगंज में राजद ने मुन्ना शुक्ला की बेटी पर दांव लगाकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, जबकि कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस सीट को आसानी से छोड़ने वाली नहीं है। दोनों में कोई अपने कदम पीछे लेने को तैयार नहीं है।

इन दोनों महत्वपूर्ण सीटों पर आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने से एनडीए गठबंधन को सीधा फायदा मिलने की संभावना बढ़ गई है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि यह टकराव 'दोस्ताना मुकाबला' है या सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति न बन पाने का परिणाम।