RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 फरवरी 2025 को अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने का निर्णय लिया। यह कटौती 6.50% से घटकर 6.25% हो गई है। यह पिछले पांच वर्षों में पहली बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कमी की है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जब आरबीआई इस दर को घटाता है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है, जिससे वे उपभोक्ताओं को भी कम ब्याज दरों पर लोन देने में सक्षम होते हैं। इससे होम लोन, ऑटो लोन और व्यक्तिगत लोन जैसे खुदरा कर्ज सस्ते हो जाते हैं।
लोन की लागत में कमी: रेपो रेट में कमी का सीधा असर होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के व्यक्तिगत लोन पर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये का होम लोन 8.5% की ब्याज दर पर लिया है, तो नई ब्याज दर 8.25% होने पर उसकी ईएमआई लगभग 788 रुपये प्रति माह कम होगी।
बाजार में नकदी बढ़ेगी: सस्ते कर्ज से उपभोक्ता अधिक खर्च कर सकेंगे, जिससे बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।
महंगाई पर प्रभाव: गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
आर्थिक विकास: भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में 6.7% रहने का अनुमान लगाया गया है। रेपो रेट में कटौती से विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
आरबीआई ने यह निर्णय वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और घरेलू विकास दर के धीमे होने के कारण लिया। पिछले कुछ समय से महंगाई नियंत्रित रही थी, जिससे केंद्रीय बैंक को इस कटौती का कदम उठाने का अवसर मिला।
इस प्रकार, 0.25% की कटौती से आम आदमी को राहत मिलेगी, क्योंकि इससे उनके कर्ज सस्ते होंगे और ईएमआई पर बोझ कम होगा।