न्यू टैक्स रिजीम का नया फरमान: 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, 20-24 लाख में अब 25% का टैक्स!

देशभर के टैक्सपेयर्स के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया नया टैक्स स्लैब एक अहम बदलाव का संकेत है। यह बदलाव जहां एक तरफ सैलरीधारियों और छोटे कारोबारियों के लिए राहत लेकर आया है, वहीं दूसरी तरफ उच्च आय वर्ग के लिए नए वित्तीय दवाबों को भी उत्पन्न कर रहा है।
अब 12 लाख तक की आय वाले टैक्सपेयर्स को किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना होगा। यह छूट सीधे तौर पर उन कर्मचारियों को मिलेगी, जो सामान्य टैक्स व्यवस्था का पालन कर रहे हैं। इसके अलावा, नौकरीपेशा लोगों के लिए 75,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू किया जाएगा, जिसके बाद उनकी आय की सीमा 12.75 लाख तक पहुंच जाएगी, और वे पूरी तरह से टैक्स मुक्त हो जाएंगे।
यह घोषणा सीधे तौर पर देश के लाखों नौकरीपेशा और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है, जिन्हें अब तक अपनी आय पर भारी टैक्स देना पड़ता था। इस बदलाव से टैक्सपेयर्स को अपनी वित्तीय योजना में ज्यादा लचीलापन मिलेगा और वे अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
लेकिन, जैसे ही राहत की यह हवा छोटे और मध्यवर्गीय करदाताओं में ताजगी लेकर आई, उच्च आय वर्ग के लिए एक नया 'टैक्स स्लैब' भी सामने आया। वित्त मंत्री ने इस स्लैब में 20 लाख से 24 लाख रुपए की सालाना आय वालों के लिए 25% टैक्स की घोषणा की है। यह कदम उस वर्ग को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा, जो अब तक टैक्स स्लैब से बाहर या कम दरों में शामिल था।
आर्थिक विश्लेषक इसे एक 'राजनीतिक और आर्थिक दोधारी तलवार' के रूप में देख रहे हैं। एक ओर जहां यह कदम सरकार की टैक्स नीति में पारदर्शिता लाने और अधिक करदाताओं को टैक्स प्रणाली में शामिल करने का संकेत है, वहीं दूसरी ओर उच्च आय वर्ग में एक नया टैक्स दबाव पैदा हो सकता है।
साथ ही, यह बदलाव टैक्सपेयर्स के बीच 'करनैतिकता' को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि उच्च आय वर्ग को यह समझना होगा कि उनके ऊपर बढ़े हुए टैक्स दरों का क्या असर होगा और उन्हें अपनी वित्तीय रणनीतियों में बदलाव करना होगा।
इस परिवर्तन के साथ सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि वह टैक्स व्यवस्था को और सरल बनाने के लिए तत्पर है, ताकि लोगों को अधिक से अधिक छूट मिले और टैक्स चोरी पर भी लगाम लगे।