Bihar News: बिहार बना आतंकियों का गढ़! यासीन भटकल ने डॉक्टर बनकर रचा खतरनाक जाल,नेपाल सीमा से पकड़ा गया IM का मास्टरमाइंड!
Bihar News: मिथिलांचल और सीमांचल जैसे क्षेत्र, जो नेपाल की 601 किलोमीटर लंबी खुली सीमा से सटे हैं, आतंकी संगठनों जैसे इंडियन मुजाहिदीन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहे।

Bihar News: बिहार अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाने वाला राज्य, एक समय आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया। खासकर मिथिलांचल और सीमांचल जैसे क्षेत्र, जो नेपाल की 601 किलोमीटर लंबी खुली सीमा से सटे हैं, आतंकी संगठनों जैसे इंडियन मुजाहिदीन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहे। यासीन भटकल और तहसीन अख्तर जैसे आतंकियों ने बिहार की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर अपना नेटवर्क तैयार किया। यह कहानी न केवल उनके खतरनाक मंसूबों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि बिहार क्यों बन गया था आतंकियों का पसंदीदा अड्डा।
यासीन भटकल आयुर्वेदिक डॉक्टर के भेष में आतंकी सरगना
उत्तरी कर्नाटक के भटकल गांव का रहने वाला यासीन भटकल, जिसका असली नाम अहमद सिद्दीबप्पा है, देश के सबसे खूंखार आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का सह-संस्थापक था। उसने दरभंगा में एक अनोखी रणनीति अपनाई। कादिराबाद में साइकिल पंक्चर बनाने वाले मोहम्मद कफील के घर आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में बैठकर उसने गरीबों का मुफ्त इलाज शुरू किया। इससे स्थानीय लोगों में उसकी छवि एक नेक इंसान की बनी। उसने कफील की बेटी से शादी कर विश्वास को और पक्का किया।
लेकिन यह सब एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। यासीन ने दरभंगा के केवटी, जाले, सिंहवाड़ा, हायाघाट और समस्तीपुर के कल्याणपुर जैसे क्षेत्रों में युवाओं को भर्ती करना शुरू किया। इन युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण देकर देश के विभिन्न शहरों में बम धमाके करवाए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यासीन से जुड़े करीब 40 बम धमाकों में 600 लोगों की जान गई। 2005 में उसके खिलाफ पहली चार्जशीट दायर हुई, लेकिन वह 8 साल तक जांच एजेंसियों को चकमा देता रहा। 2013 में एनआईए ने उसे मोतिहारी-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया, तब उस पर 35 लाख रुपये का इनाम था।
तहसीन अख्तर: बम बनाने का मास्टर, IM का नया चेहरा
यासीन की गिरफ्तारी के बाद IM की कमान संभालने वाला तहसीन अख्तर समस्तीपुर का रहने वाला । 2008 में 12वीं पास करने के बाद उसने मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। पढ़ाई के दौरान दरभंगा के अल हीरा पब्लिक स्कूल के पास एक लाइब्रेरी में उसकी मुलाकात IM के सदस्य गयूर जमाली से हुई, जिसने 2010-11 में उसे यासीन भटकल से मिलवाया। इसके बाद तहसीन आतंकी गतिविधियों में पूरी तरह शामिल हो गया।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, तहसीन बम बनाने में माहिर था और उसे "बम का डॉक्टर" कहा जाता था। उसने 2013 में पटना में नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली में धमाका और मुंबई में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया को बम से उड़ाने की साजिश में अहम भूमिका निभाई। 2014 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे बंगाल-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया। वह और यासीन वर्तमान में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
बिहार क्यों बना आतंकियों का अड्डा?
भारत-नेपाल की 1751 किमी लंबी सीमा में से 601 किमी बिहार से सटी है। यह खुली सीमा आतंकियों के लिए हथियार, धन, और लोगों की आवाजाही के लिए सुविधाजनक थी। ISI जैसे संगठनों से फंडिंग भी इसी रास्ते आती थी।बिहार में बेरोजगारी, गरीबी, और शिक्षा की कमी ने आतंकियों को युवाओं को भर्ती करने का मौका दिया। यासीन जैसे आतंकी मुफ्त सेवाओं और सामुदायिक जुड़ाव के जरिए विश्वास जीतते थे।बिहार की घनी आबादी में आतंकी सामान्य नागरिक की तरह छिप सकते थे। यासीन ने दरभंगा में शिवधारा इलाके में अलग-अलग नामों (जैसे इमरान) से रहकर अपनी पहचान छिपाई।कमजोर निगरानी: नेपाल सीमा पर निगरानी की कमी और स्थानीय प्रशासन की सीमित पहुंच ने आतंकियों को गतिविधियां चलाने की छूट दी।नेपाल सीमा पर सतर्कता: हाल के पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में 84 किमी सीमा पर SSB, पुलिस, और खुफिया एजेंसियां सतर्क हैं।IM की गतिविधियां: 2022 की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि IM बिहार और पश्चिम बंगाल में 200 से अधिक स्लीपर सेल तैयार करने की कोशिश कर रहा है।
वर्तमान स्थिति और जांच एजेंसियों की भूमिका
बिहार में NIA और स्थानीय पुलिस ने यासीन भटकल और तहसीन अख्तर जैसे आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद IM के नेटवर्क को काफी हद तक तोड़ा है।हालांकि, नेपाल सीमा और बिहार की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां अब भी जोखिम पैदा करती हैं। 2015 में मोतिहारी में तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी, जिनके पास पाकिस्तानी और नेपाली करेंसी थी, ने सीमा पर संदिग्ध गतिविधियों की पुष्टि की थी। हाल के पहलगाम हमले के बाद सीमा पर बढ़ी सतर्कता से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा एजेंसियां कोई जोखिम नहीं ले रही हैं।बिहार की भौगोलिक स्थिति, सामाजिक-आर्थिक कमजोरियां, और नेपाल की खुली सीमा ने इसे आतंकियों के लिए मुफीद ठिकाना बना। यासीन भटकल ने आयुर्वेदिक डॉक्टर बनकर और तहसीन अख्तर ने स्थानीय नेटवर्क के जरिए IM को मजबूत करने की कोशिश की। लेकिन NIA और अन्य एजेंसियों की सतर्कता ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।