दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है और चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करने और देखने को अपराध माना है. अदालत ने सिफारिश की कि केंद्र सरकार को बाल अश्लीलता के बजाय बाल यौन शोषण और शोषण सामग्री (सीएसईएएम) को POCSO अधिनियम में शामिल करना चाहिए.
बता दें मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी, जिसके खिलाफ आरोप था कि उसने अपने मोबाइल पर बाल पोर्नोग्राफी सामग्री डाउनलोड की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि इस प्रकार की गतिविधि बिना किसी को प्रभावित किए जाने के कारण POCSO और IT Act के तहत अपराध नहीं बनती. इस फैसले में यह भी उल्लेख किया गया था कि समाज को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि उन्हें दंडित करने पर.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी (बाल अश्लीलता) से संबंधित सामग्री को डाउनलोड करना, देखना और स्टोर करना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत अपराध है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को “अत्याचारपूर्ण” बताया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि कोई न्यायाधीश ऐसा कैसे कह सकता है कि बाल पोर्नोग्राफी देखना या डाउनलोड करना अपराध नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में कानूनों का पालन होना चाहिए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.