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Illegal Mining: तस्करों ने अफसरों पर की तीन राउंड फायरिंग, लाल बालू धंधेबाजों के लिए सोना, प्रशासन के लिए बन गया है सिरदर्द

Illegal Mining:किऊल नदी का लाल बालू अब संगठित अपराध का रूप ले चुका है। पुलिस और खनन विभाग लगातार इसे रोकने के दावे कर रहे हैं, लेकिन माफियाओं का आतंक और उनकी हिम्मत यह बताने के लिए काफी है कि इस धंधे को पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं है।

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लाल बालू धंधेबाजों के लिए सोना- फोटो : social Media

Illegal Mining: बिहार में अवैध खनन एक गंभीर समस्या बन गई है। वैध खनन को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन माफियाओं की मजबूत पकड़ के कारण यह गोरखधंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हर बार जब प्रशासन कार्रवाई करता है, कुछ दिनों के लिए यह धंधा धीमा पड़ जाता है, लेकिन जैसे ही मामला शांत होता है, फिर से पूरी ताकत के साथ शुरू हो जाता है। किऊल नदी का लाल बालू अब संगठित अपराध का रूप ले चुका है। पुलिस और खनन विभाग लगातार इसे रोकने के दावे कर रहे हैं, लेकिन माफियाओं का आतंक और उनकी हिम्मत यह बताने के लिए काफी है कि इस धंधे को पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं है।

किऊल नदी का लाल बालू खनन माफियाओं के लिए पीला सोना से कम नहीं है। माफिया इससे मालामाल हो रहे हैं जबकि सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। जिले में बालू के अवैध खनन और परिवहन पर रोक के प्रशासनिक दावे की जमीनी हकीकत माफियाओं कारगुजारी बताने के लिए काफी है। जिले में बालू का अवैध खनन और परिवहन लगातार जारी है।

इस गोरखधंधे में संलिप्त लोग इतने बेखौफ हैं कि अब वे प्रशासन की टीमों पर हमला करने से भी पीछे नहीं हट रहे। सोमवार की रात महिसोना बालू घाट पर खनन विभाग की टीम पर हुई फायरिंग ने यह साबित कर दिया कि बालू माफिया अब कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं। जिला खनिज विकास पदाधिकारी कुमार गौरव की टीम जब अवैध खनन रोकने पहुंची, तो माफियाओं ने उन पर तीन राउंड फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इस हमले से साफ हो गया कि बालू माफिया प्रशासन से दो कदम आगे चल रहे हैं। हालांकि जिले में अवैध खनन और परिवहन कोई नई बात नहीं है। जिले के लखीसराय, चानन, तेतरहट, हलसी और कबैया थाना क्षेत्रों में यह धंधा धड़ल्ले से जारी है। खासकर तेतरहट और चानन इलाकों में किऊल नदी का लाल बालू चोरी-छिपे निकाला जाता है और ऊंचे दामों पर बेचा जाता है। रात के अंधेरे में जब प्रशासन की नजरें कमजोर पड़ जाती हैं, तभी यह खेल शुरू होता है। ट्रैक्टर और टीपर से भर-भरकर बालू नदी से उठाया जाता है और गुप्त स्थानों पर स्टॉक किए गए ठिकानों तक पहुंचाया जाता है। फिर सुबह होते ही कागजों में सब कुछ वैध दिखाने के लिए एक ही चालान का बार-बार इस्तेमाल किया जाता है।

खनन माफियाओं की जड़ें इतनी गहरी हैं कि प्रशासन के लिए उन्हें पकड़ना आसान नहीं है। यह पूरा खेल एक संगठित गिरोह के जरिए चलता है, जिसमें स्थानीय लोगों से लेकर प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं। अंधेरा होते ही शहर एवं अवैध खनन क्षेत्र के प्रमुख चौक-चौराहों पर इनके खबरी तैनात हो जाते हैं, जो पुलिस और खनन विभाग की हलचल पर नजर रखते हैं। जैसे ही कोई विभागीय या प्रशासन का वाहन गश्ती के लिए निकलता है, तुरंत इसकी सूचना खनन स्थल और परिवहन में लगे लोगों तक पहुंचा दी जाती है। रास्ते में भी बालू माफिया के गुर्गे बाइक से घूमते रहते हैं, ताकि प्रशासन की हर कार्रवाई को नाकाम किया जा सके।

चानन थाना क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित है, जिससे यहां रात में गश्ती कम होती है। इसका फायदा बालू माफियाओं को मिलता है, जो बिना किसी डर के इस गोरखधंधे को अंजाम देते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी है, लेकिन इस धंधे में बड़े रसूखदार लोग शामिल हैं, इसलिए कार्रवाई करने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।

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