Patna Crime: अगर वो मेरी नहीं... तो किसी और की कैसे हो सकती थी?" — मोहब्बत में जलती आग ने भाई-बहन को राख बना डाला, आरोपियों ने इक़बाल-ए-जुर्म कर बता दी ये कहानी

Patna Crime: महज़ 19 साल का एक आशिक़ शुभम, जिसने इश्क़ के नाम पर ऐसा खून बहाया, जिसने रूह कंपा दी। पूछताछ में उसने जो कहानी बयान की,

Patna Brother sister murder case
अगर वो मेरी नहीं... तो किसी और की कैसे हो सकती थी?- फोटो : reporter

Patna Crime:  पटना की दोपहर 31 जुलाई को उस वक्त दहल गई, जब एक मकान के भीतर बेड पर भाई-बहन की झुलसी हुई लाशें बरामद की गईं। दरवाज़ा बाहर से बंद था, कमरा अंदर से खामोश और हवा में जलती हुई ज़िंदगी की बू घुली हुई थी। 48 घंटे की कड़ी तफ़्तीश के बाद पुलिस ने दोहरे क़त्ल की ये सनसनीखेज़ गुत्थी सुलझा ली।

इस दोहरे कत्ल के पीछे था महज़ 19 साल का एक आशिक़  शुभम, जिसने इश्क़ के नाम पर ऐसा खून बहाया, जिसने रूह कंपा दी। पूछताछ में उसने जो कहानी बयान की, वो मोहब्बत और जुनून की उस स्याह हद को छूती है जहां इंसान वहशत में तब्दील हो जाता है।

शुभम ने इक़बाल-ए-जुर्म करते हुए बताया कि "मैं अंजली से बेहद मोहब्बत करता था। लेकिन कुछ हफ़्तों से वो मुझसे दूर होती जा रही थी। किसी और से बात करने लगी थी। मैंने बहुत समझाया... बहुत रोका, मगर वो मुझे नज़रअंदाज़ करने लगी।"

24 जुलाई को उसने अपने दिल में साज़िश का बीज बो दिया "अगर अंजली मेरी नहीं हुई, तो मैं किसी और का उसे बनने नहीं दूंगा।"

30 जुलाई को शुभम ने खगौल की एक दुकान से 50 रुपए में केरोसिन की बोतल खरीदी। दुकानदार से कहा, "चूल्हा जलाने के लिए चाहिए..." लेकिन असल मक्सद आग में इंसानियत को जलाना था।

31 जुलाई को शुभम अपने साथी रोशन के साथ अंजली के घर पहुंचा। अंदर अंशु (अंजली का छोटा भाई) सो रहा था। पहले उसे ईंट से मारकर मौत के घाट उतारा, फिर अंजली की भी हत्या कर दी। जुर्म के सबूत मिटाने के लिए दोनों की लाशों पर केरोसिन डालकर आग लगा दी और फरार हो गए।

सबसे हैरतअंगेज़ बात  वारदात के बाद भी दोनों कहीं भागे नहीं। उन्हें यक़ीन था कि पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकेगी, क्योंकि कोई सबूत ज़िंदा नहीं छोड़ा।

मगर पटना पुलिस की 8 टीमों ने जमीनी तहक़ीक़ात कर पूरे केस की कड़ियाँ जोड़ीं। स्कूल से लेकर शुभम के घर तक हर क़दम पर निगरानी रखी गई। आखिरकार सच सामने आ ही गया।

एसपी भानु प्रताप सिंह ने बताया कि इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद भी शुभम के चेहरे पर ना डर था, ना अफ़सोस बस खामोश सन्नाटा।"

ये घटना सिर्फ एक जुर्म नहीं, मोहब्बत की शक्ल में पल रहे जुनूनी ज़ेहन का वह खौफनाक अंजाम है, जो पूरे समाज को झकझोर देता है।

रिपोर्ट- कुलदीप भारद्वाज