Patna Crime:पीएमसीएच में महिला के निजी अंगों को छूने की जाँच शुरु, सीसीटीवी में सुराग गायब, तकनीकी के भंवर में फंसा छेड़छाड़ का संगीन मामला

Patna Crime: पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच में युवती के साथ कथित छेड़छाड़ का मामले का तहकीकात शुरु हो गया है। सीसीटीवी की जांच सूक्ष्मता से की गई है....

PMCH Molestation Probe Begins CCTV Clues
पीएमसीएच में महिला के निजी अंगों को छूने की जाँच शुरु- फोटो : social Media

Patna Crime: पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच में  युवती के साथ कथित छेड़छाड़ का मामले का तहकीकात शुरु हो गया है। रविवार को पुलिस ने अस्पताल परिसर में लगे दर्जनों सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन सबसे अहम स्थान ईसीजी कक्ष में कैमरा ही नहीं पाया गया। ईसीजी करते समय सीने में इलेक्ट्रोड लगाया जाता है। बहरहाल नतीजा यह कि घटना के वक्त का कोई प्रत्यक्ष सबूत पुलिस के हाथ नहीं लग सका। फुटेज में पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ ईसीजी रूम की ओर जाती ज़रूर दिख रही है, मगर कमरे के भीतर की हकीकत पर पर्दा कायम है।

पुलिस ने आरोपित ईसीजी कर्मी, नर्सिंग स्टाफ़ और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की, मगर सभी ने आरोप से साफ इंकार कर दिया। सबूत न होने के कारण पुलिस किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।

डीएसपी टाउन-1 राजेश रंजन का कहना है कि तहकीकात जारी है और सभी संबंधित लोगों के बयान लिए जा रहे हैं। अभी हर कोण से जाँच की जा रही है ताकि सच सामने आ सके।

घटना 22 नवंबर को पीरबहोर थाना क्षेत्र में दर्ज की गई शिकायत से जुड़ी है। सालिमपुर अहरा निवासी पीड़िता की तबीयत खराब होने पर वह आधी रात पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड पहुंची थी। डॉक्टरों ने तत्काल ईसीजी कराने का मशविरा दिया। युवती का गंभीर आरोप है कि ईसीजी के दौरान कर्मी ने नाज़ुक अंगों को गलत नीयत से बार-बार छुआ, और विरोध करने पर मौजूद गार्ड ने उसके परिजनों के साथ धक्का-मुक्की तक की।

इस आरोप ने अस्पताल की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने अस्पताल प्रशासन से पूछा कि महिला मरीज का ईसीजी पुरुष कर्मी द्वारा क्यों कराया गया, जबकि कई संवेदनशील प्रक्रियाओं में महिला कर्मियों की नियुक्ति प्राथमिकता मानी जाती है। जवाब मिला कि फिलहाल अस्पताल में ईसीजी का काम पुरुष कर्मी ही देख रहा है। पुलिस का मानना है कि यदि यह जांच किसी महिला टेक्नीशियन द्वारा की जाती तो शायद यह पूरा मामला ही न खड़ा होता।

ईसीजी के लिए शरीर के ऊपरी हिस्से पर कई स्थानों पर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, जिसे लेकर संवेदनशीलता और गोपनीयता दोनों ज़रूरी हैं। कथित तौर पर गोपनियता के कारण ही ईसीजी रुम में सीसीटीवी नहीं लगाया जाता है। अब पुलिस इस पहलू को भी जांच के दायरे में शामिल कर रही है और विशेषज्ञों की राय जुटा रही है। कुल मिलाकर, मामला न सिर्फ़-इंसाफ़ का है, बल्कि अस्पतालों में महिला सुरक्षा, संवेदनशील जांचों में जेंडर-सेंसिटिव प्रोटोकॉल और प्रशासनिक जिम्मेदारी जैसे बड़े सवालों का आईना भी बनकर सामने आया है।