Bihar Crime: 2.30 करोड़ का खेल! अफसरों ने मिलकर लूटा विभाग, अब मचा हड़कंप

Bihar Crime: घोटाले की सबसे गंभीर बात यह है कि आम जनता से नियमपूर्वक वसूली की गई रकम, जिसकी कागजों में पुष्टि भी है, वो सरकार के खाते में कभी पहुंची ही नहीं।...

Rohtas Dto
अफसरों ने मिलकर लूटा विभाग- फोटो : social Media

Bihar Crime: बिहार में भ्रष्टाचार की फेहरिस्त में एक और चौंकाने वाला नाम जुड़ गया है। इस बार सासाराम जिला परिवहन कार्यालय  में ₹2 करोड़ 30 लाख के गबन का बड़ा मामला सामने आया है। ये घोटाला मोटर व्हीकल टैक्स (MV टैक्स) और ई-चालान की राशि को सरकारी खाते में जमा न करने को लेकर हुआ है।

इस सनसनीखेज घोटाले की पुष्टि खुद जिला परिवहन पदाधिकारी  रामबाबू ने की है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021 से 2025 के बीच टैक्स और चालान की वसूली तो हुई, लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया।

घोटाले का भंडाफोड़ ऑडिट रिपोर्ट के जरिए हुआ। जैसे ही मामला उजागर हुआ,जिला परिवहन   कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच अफरातफरी मच गई। मंगलवार को पुलिस ने जब छानबीन के लिए कार्यालय में दस्तक दी, तो दफ्तर का माहौल गर्म हो गया।

जिला परिवहन पदाधिकारी  रामबाबू ने बताया कि ऑडिट में खुलासा हुआ कि MV टैक्स और ई-चालान की राशि वसूली के बाद सरकारी खाते में जमा नहीं की गई। इसमें डाटा एंट्री ऑपरेटर और प्रोग्रामर सहित चार कर्मियों की संलिप्तता सामने आई है।

नगर थाना, सासाराम में चार कर्मचारियों के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीपीओ दिलीप कुमार खुद जिला परिवहन पदाधिकारी  कार्यालय पहुंचे और जांच शुरू की।

एसडीपीओ दिलीप कुमार ने बताया कि चारों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं, जिसके आधार पर जल्द सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मोटर व्हीकल टैक्स सार्वजनिक सड़कों पर वाहन चलाने के लिए लिया जाता है, जो राज्य सरकार को जमा होता है। यह टैक्स वाहन की श्रेणी और उपयोग (निजी/व्यावसायिक) पर निर्भर करता है।

ई-चालान एक डिजिटल चालान होता है, जो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जारी किया जाता है। इसका भुगतान ऑनलाइन या डीटीओ कार्यालय में किया जा सकता है।

इस घोटाले की सबसे गंभीर बात यह है कि आम जनता से नियमपूर्वक वसूली की गई रकम, जिसकी कागजों में पुष्टि भी है, वो सरकार के खाते में कभी पहुंची ही नहीं। यानी यह सुनियोजित और तकनीकी समझ रखने वाला घोटाला है, जिसमें सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठाया गया।

बहरहाल सवाल ये उठता है कि इतने लंबे समय तक यह घोटाला कैसे छिपा रहा?क्या इसमें वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत भी है?जांच जारी है, लेकिन घोटालों की ये गाड़ी यहीं नहीं रुकी... सवारी अभी बाकी है!