Attack on police: बिहार में फिर पुलिस पर हमला, थाना में तोड़फोड़,जमकर चली गोलियां
Attack on police: उग्र भीड़ ने पुलिस पर ही हमला बोल दिया। कई पुलिस वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। स्थिति तब और भयावह हो गई जब उपद्रवियों ने थाना परिसर में घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दी।...

Attack on police: मामूली कहासुनी से शुरू हुई कहर भरी झड़प कुछ ही पलों में हिंसक बवाल में तब्दील हो गई। देखते ही देखते दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर ईंट-पत्थर चलाए और फायरिंग भी शुरू हो गई।गटना रोहतास जिले के दिनारा थाना अंतर्गत बेलवैया गांव का है जहां जमीनी विवाद ने अचानक उग्र रूप धारण कर लिया। इस घटना ने न सिर्फ गांव में दहशत फैला दी, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की पोल भी खोलकर रख दी।
घटना की जानकारी मिलते ही दिनारा थाना की पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन वहां जुटी उग्र भीड़ ने पुलिस पर ही हमला बोल दिया। कई पुलिस वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। स्थिति तब और भयावह हो गई जब उपद्रवियों ने थाना परिसर में घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दी।
सूत्रों के अनुसार, गोलीबारी में एक युवक को गोली लगने की सूचना है, जिसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। घायल युवक को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गांव में अफरातफरी का माहौल है और आम लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं।
स्थानीय प्रशासन की ओर से तत्काल अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई। जिला मुख्यालय से भी फोर्स भेजी गई ताकि हालात काबू में लाए जा सकें। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि स्थिति तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन अब नियंत्रण में है। गांव में फ्लैग मार्च किया जा रहा है और संवेदनशील इलाकों में गश्ती बढ़ा दी गई है।
यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी विवादों के उग्र स्वरूप और प्रशासन की तत्परता को भी कटघरे में लाती है।
विपक्ष ने इस हिंसा को "प्रशासनिक विफलता की पराकाष्ठा" बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। राजद और कांग्रेस ने इसे नीतीश सरकार की "लचर कानून व्यवस्था" का परिणाम बताया, वहीं भाजपा ने इसे स्थानीय प्रशासन की नाकामी करार दिया।
अब सवाल यह उठता है कि क्या बिहार में कानून का डर खत्म हो गया है? क्या जमीन के नाम पर अब सीधे जानलेवा संघर्ष ही विकल्प बचा है? सरकार और पुलिस प्रशासन को इन सवालों का जवाब देना ही होगा, वरना आने वाले दिनों में यह चिंगारी और भयानक आग बन सकती है।
रिपोर्ट-रंजन सिंह राजपूत