'जितनी मर्जी उतने बच्चे पैदा करें', अधिक बच्चे पैदा करने वाले को सरकार देगी पैसा और विशेष सुविधा, मुख्यमंत्री ने किया ऐलान

'बच्चे दो ही अच्छे' अब पुराना नारा हो गया है. अब नई पहल है 'जितने बच्चे उतने अच्छे'. इतना ही नहीं ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को सरकार खास सुविधा और पैसा भी देगी.

Family planning
Family planning- फोटो : news4nation

Family planning: 'हम दो हमारे दो', भारत में परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के लिए यह नारा गढ़ा गया था. लेकिन, इस नारे को अपनाने वाले भारत के कुछ राज्य अब प्रजनन दर में गिरावट से जूझ रहे हैं. नतीजा है कि ऐसे राज्यों द्वारा अब बड़े परिवारों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जा रही है. यहां तक कि लोगों से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने को कहा जा रहा है ताकि जनसंख्या बढ़ सके और इसका लाभ राज्य को भारत की संघीय व्यवस्था में कई मानकों पर मिल सके. प्रजनन दर में गिरावट से जूझ रहे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य के लोगों से इसके लिए खास अपील की है.  


मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इसे 'इन्वेस्टमेंट इन ह्यूमन कैपिटल' यानी 'मानव पूंजी में निवेश' नाम दिया है. उन्होंने यहां तक कि कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को इसकी चिंता नहीं करनी है कि गरीब परिवार कैसे उनका भरण पोषण करेगा. 'जीरो पॉवर्टी' पहल के तहत अमीर लोग गरीब परिवारों के बच्चों को गोद लेंगे. इससे न केवल आय असमानताएं दूर होंगी, बल्कि पूरे परिवार का कल्याण भी सुनिश्चित होगा. यहां तक कि अब तक जो दो बार का मातृत्व अवकाश महिलाओं को मिलता था उसे भी बढ़ाया जाएगा. यानी महिला कर्मचारी जितनी बार चाहें मातृत्व अवकाश का लाभ उठा सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में अधिक बच्चे पैदा करने वाले जोड़ों को वित्तीय सहायता की घोषणा करने की योजना बना रही है.


परिसीमन ने बढाई दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता 

दरअसल, लोकसभा में सीटों की संख्या के लिहाज से दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता आगामी परिसीमन ने बढ़ा दी है. मौजूदा समय में लोकसभा में राज्यों की सीटों का आधार वर्ष 1971 की जनगणना है. अब नए सिरे से परिसीमन का प्रारूप बन रहा है जो नई जनगणना के आधार पर होगा. दक्षिणी राज्यों को चिंता है कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो पहल की उससे आबादी नियंत्रित हुई. वहीं बिहार, यूपी सहित उत्तर और पूर्वी भारत के राज्यों में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ी. इससे नए परिसीमन में उत्तर भारतीय राज्यों की लोकसभा सीटें कई गुणा बढ़ जाएगी जबकि दक्षिण भारत को बड़ा नुकसान झेलना होगा. उनके राज्यों की सीटें कम जाएगी. ऐसे में परिवार नियोजन से उलट अब नायडू ने अपने राज्य के लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है. 


तमिलनाडु भी चिंतित 

प्रजनन दर में आई कमी के कारण तमिलनाडु भी चिंतित है. तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन ने हाल ही में कहा कि केंद्र द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के जनसंख्या- आधारित परिसीमन पर जोर देने के साथ, राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने की जरूरत है. तमिलनाडु में उभरी यह चिंता भी राज्य में उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में कम होती जनसंख्या है. इससे राज्य को केंद्र सरकार से मिलने वाले वित्तीय आवंटन में भी कमी आती है. स्टालिन की राह पर चलते हुए ही अब आंध्र के सीएम ने भी लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है. इसके पहले 2023 में, सिक्किम में भी वहां के नागरिकों से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की. इसी तरह मिजोरम भी आदिवासी जोड़ों को दो से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.


अमित शाह ने दिया है भरोसा 

गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह संसद के भीतर और संसद के बाहर भी दक्षिण के राज्यों की लोकसभा की सीटें अधिक जनसंख्या वृद्धि वाले उत्तर भारत के राज्यों के समानुपात में बढ़ाने का भरोसा दिया है. इसके तहत दक्षिण भारत के राज्यों में लोकसभा की सीटें उत्तर भारत के राज्यों के अनुपात में कम जनसंख्या पर ही निर्धारित की जाएंगी. मौजूदा समय में भी पूर्वोत्तर के राज्यों समेत अंडमान निकोबार जैसे कई केंद्र शासित प्रदेशों में अपेक्षाकृत कम जनसंख्या पर लोकसभा की सीटें हैं. यही फार्मूला नए परिसीमन के बाद दक्षिण के लिए अपनाने का प्रवधान हो सकता है. माना जा रहा है कि नए परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें 800 से अधिक हो सकती हैं, जो अभी 543 हैं.