Coca-Cola News: मल्टीनेशनल कंपनियां विभिन्न देशों में अपने उत्पादों की कीमत और गुणवत्ता में अंतर रखती हैं। ताजा मामला कोका-कोला कंपनी के ब्रांड फैंटा का सामने आया है, जहां भारत और मलेशिया में बेची जा रही फैंटा के पोषण मानकों और कीमतों में बड़ा अंतर पाया गया है। जांच में पाया गया है कि भारत में बिकने वाली फैंटा में ज्यादा शुगर और सोडियम है।
कीमत और पोषण तत्वों में बड़ा अंतर
मलेशिया में 320 मिलीलीटर की फैंटा कैन की कीमत 140 रुपये है, जबकि भारत में 300 मिलीलीटर की फैंटा कैन सिर्फ 40 रुपये में मिलती है। हालांकि, बड़ा अंतर इसकी पोषण सामग्री में है। मलेशियाई फैंटा प्रति 100 मिलीलीटर में 4.6 ग्राम शुगर और 3 मिलीग्राम सोडियम है। वहीं भारतीय फैंटा में प्रति 100 मिलीलीटर में 13.6 ग्राम शुगर (तीन गुना अधिक) और 22.3 मिलीग्राम सोडियम (सात गुना अधिक) है। हाल ही में एक ग्राहक ने मलेशियाई फैंटा कैन गलती से खरीद ली और जब उसने इसकी कीमत और पोषण जानकारी देखी, तो हैरान रह गया। उसने इस तुलना को लिंक्डइन पर शेयर किया, जिससे यह मामला चर्चा में आया।
सर्विंग साइज में भी गड़बड़ी !
बता दें कि, सिर्फ पोषण मूल्य ही नहीं, बल्कि सर्विंग साइज लेबलिंग में भी अंतर देखा गया। भारतीय फैंटा (300 मिलीलीटर): लेबल पर 200 मिलीलीटर को एक सर्विंग बताया गया है। मलेशियाई फैंटा (320 मिलीलीटर) पूरी कैन को एक सर्विंग के रूप में स्पष्ट रूप से लेबल किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिलती है।
कोका-कोला की चुप्पी
कोका-कोला कंपनी ने इस विवाद पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहा कि इस मामले पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) जवाब देगी। भारत में कोल्ड ड्रिंक्स में शुगर और सोडियम की अधिकतम सीमा तय करने के स्पष्ट नियम नहीं हैं। हालांकि, 2023 में उच्च शुगर वाले पेय पदार्थों पर हेल्थ वार्निंग लेबल लगाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन अभी तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया।
दूसरे देशों में सख्त नियम
ब्रिटेन में सॉफ्ट ड्रिंक्स इंडस्ट्री लेवी लागू, जिससे कंपनियों को शुगर कम करनी पड़ी। मैक्सिको में 2014 में सॉफ्ट ड्रिंक्स पर 10% अतिरिक्त टैक्स लगाया गया। अमेरिका में कई राज्यों में उच्च शुगर वाले पेय पदार्थों पर अतिरिक्त कर। इस मामले ने भारत में खाद्य सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि क्या FSSAI कोल्ड ड्रिंक्स में शुगर और सोडियम की अधिकतम सीमा तय करेगी या फिर यह मामला भी अनदेखा कर दिया जाएगा?
युवा आबादी पर बुरा असर
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, 15-25 आयुवर्ग में शीतल पेय का सेवन 40% बढ़ा, जिससे मोटापा 20% बढ़ गया। जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी के शोध में पाया गया कि शीतल पेय में हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप के कारण फैटी लिवर रोगी 30-40% बढ़ गए। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के अनुसार, शीतल पेय पीने वाले बच्चों में दांतों की सड़न की दर 50% अधिक पाई गई।