NEW DELHI - एक तरफ वाई कैटगरी की सुरक्षा मिलने के बावजूद एनसीपी नेता बाबा सिद्दिकी की हत्या हो गई। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कई बड़े नेताओं को मिली वीआईपी सिक्योरिटी ड्यूटी से NSG कंमाडो को हटाने का फैसला लिया है। अब जिन वीआईपी लोगों को बहुत ज्यादा खतरा है, उनकी सिक्योरिटी का कमान अब CRPF के हवाले होगा, वहीं दूसरी तरफ सिक्योरिटी से हटाने के बाद NSG कंमाडो का इस्तेमाल आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए होगा। अगले महीने से यह आदेश लागू होगा।
दरअसल, कुछ दिन पहले संसद की सुरक्षा में बदलाव किया गया था, जिसमें संसद की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपी गई थी। वहीं संसद की सुरक्षा से हटाए गए सीआरपीएफ जवानों को वीआईपी सिक्योरिटी में लगाया जाएगा। इसके लिए नई बटालियन बनाई गई है। सीआरपीएफ के पास पहले से छह वीआईपी सिक्योरिटी बटालियन मौजूद है. नई बटालियन के साथ ये सात हो जाएंगी अब ये जवान वीआईपी की सुरक्षा करेंगे.
सूत्रों की माने तो इस समय 9 जेड-प्लस कैटेगरी के वीआईपी है, जिनकी सिक्योरिटी NSG के ब्लैक कैट कमांडो करते हैं। जिन नौ लोगों को जेड प्लस कैटगरी के वीआईपी सिक्योरिटी मिली है। उनमें यूपी की सीएम योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, एनसी नेता फारुक अब्दुल्लाह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू। अब इनके पास से एनएसजी कमांडो हट जाएंगे। सीआरपीएफ सिक्योरिटी विंग कमान संभालेगी।
अमित शाह और गांधी परिवार की सुरक्षा कर रही सीआरपीएफ
NSG सिक्योरिटी वाले 9 वीआईपी में से दो यानी राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ के पास एडवांस्ड सिक्योरिटी लाइसन (ASL) प्रोटोकॉल है। जिसे अब सीआरपीएफ ने टेकओवर कर लिया है। इसके पहले सीआरपीएफ अभी तक ASL का काम गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के तीनों सदस्य के लिए कर रही है।
ASL मतलब किसी वीआईपी के किसी जगह पहुंचने से पहले उस जगह की छानबीन, सिक्योरिटी जांच, लोकेशन आदि की सुरक्षा जांच होती है। सीआरपीएफ अब ये सारा काम इन दोनों नेताओं के लिए करेगी।