भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पत्रों को वापस करने के लिए सांसद राहुल गांधी को एक पत्र भेजा गया है। यह पत्र प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की ओर से लिखा गया है। हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। जानकारी के अनुसार, ये पत्र सोनिया गांधी को लगभग 16 वर्ष पूर्व सौंपे गए थे। 10 दिसंबर को PMML के सदस्य रिजवान कादरी ने राहुल गांधी को पत्र भेजकर उनसे अनुरोध किया है कि वे सोनिया गांधी द्वारा वापस लिए गए मूल पत्र लौटाएं या उनकी फोटोकॉपी या डिजिटल प्रति प्रस्तुत करें। उल्लेखनीय है कि सितंबर में भी सोनिया गांधी से पत्र लौटाने का आग्रह किया गया था।
वर्ष 1971 में इन पत्रों को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (वर्तमान में प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ) में जमा किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, ये पत्र 2008 में 51 बॉक्स में सोनिया गांधी को वापस भेज दिए गए थे। उस समय की यूपीए सरकार का नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कर रहे थे। इन पत्रों में नेहरू सहित कई प्रमुख ऐतिहासिक व्यक्तियों के बीच संवाद शामिल हैं, जैसे कि एडविना माउंटबेटन, एल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, अरुणा आसिफ, बाबू जगजीवन राम, और गोविंद वल्लभ पंत। प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय द्वारा भेजे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि 'हम मानते हैं कि ये पत्र नेहरू परिवार के लिए व्यक्तिगत महत्व रखते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय का यह भी मानना है कि ऐतिहासिक सामग्री तक आसान पहुंच स्कॉलर्स और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत सहायक हो सकती है।'
एडविना माउंटबेटन को नेहरू द्वारा लिखे गए पत्रों को वापस करने के लिए सरकार ने सोनिया गांधी से अनुरोध किया है। ये पत्र 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (वर्तमान में प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ) में जमा किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, 2008 में इन पत्रों को 51 बॉक्स में सोनिया गांधी को वापस भेजा गया था।