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High Court: हाई कोर्ट में जज और मुस्लिम महिला वकील के बीच जमकर हुई नोकझोंक, नकाब हटाएं, नहीं हटाऊंगी', सुनवाई किया इनकार, रजिस्ट्रार जनरल से मांगी रिपोर्ट

देश के इतिहास में संभवत:पहली बार हाई कोर्ट में जज और मुस्लिम महिला वकील के बीच जमकर बहस हुई. महिला ने कोर्ट में अपना चेहरा ढका हुआ था। जब जज ने उससे चेहरा दिखाने को कहा तो उसने मना कर दिया। इसलिए, जज ने उसका मामला नहीं सुना ।

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जज और मुस्लिम महिला वकील के बीच जमकर हुई नोकझोंक- फोटो : social Media

Argument between judge and Muslim lawyer: हाई कोर्ट में हाल ही में एक मामला सामने आया था जिसमें एक मुस्लिम महिला वकील ने चेहरा ढके हुए कोर्ट में पेश होने की कोशिश की थी। जज ने महिला से अपना चेहरा दिखाने के लिए कहा, लेकिन महिला ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, जज ने महिला वकील की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया और इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मुस्लिम महिला वकील की सुनवाई करने से मना कर दिया था। महिला ने कोर्ट में अपना चेहरा ढका हुआ था। जब जज ने उससे चेहरा दिखाने को कहा तो उसने मना कर दिया। इसलिए, जज ने उसका मामला नहीं सुना और आगे की सुनवाई के लिए तारीख दे दी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद, हाई कोर्ट की जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने 13 दिसंबर को अपने आदेश में स्पष्ट किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा निर्धारित नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत कोई महिला अदालत में नकाब या बुर्का पहनकर मामले की पैरवी कर सके। न्यायालय ने कहा कि BCI की नियमावली के अध्याय IV (भाग VI) की धारा 49(1) (जीजी) में महिला अधिवक्ताओं के लिए अनुमत ड्रेस कोड का उल्लेख किया गया है। न्यायालय ने यह भी कहा, "इन नियमों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए इस प्रकार की पोशाक स्वीकार्य है।"

वास्तव में, 27 नवंबर को हाई कोर्ट में एक महिला वकील ने पेशी दी थी, जिन्होंने अपना नाम सैयद एनैन कादरी बताया और घरेलू हिंसा से संबंधित एक मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुईं।

इस दौरान वह अदालत में वकील की वेशभूषा में उपस्थित थीं, लेकिन उन्होंने अपने चेहरे को ढक रखा था। उस समय जस्टिस राहुल भारती मामले की सुनवाई कर रहे थे। जस्टिस भारती ने उस महिला वकील से अनुरोध किया कि वह अपने चेहरे से नकाब हटा दें, लेकिन कादरी ने ऐसा करने से मना कर दिया। महिला वकील ने स्पष्ट किया कि चेहरे को ढकना उसका मौलिक अधिकार है और अदालत उसे ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।

इसके पश्चात, जस्टिस भारती ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया और कहा कि मामले में पेश हुई महिला को वकील के रूप में न तो स्वीकार किया जा सकता है और न ही नियमों के अनुसार मान्यता दी जा सकती है, क्योंकि चेहरे के ढके होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह महिला कौन है या उसकी पहचान क्या है। अदालत ने मामले की सुनवाई को स्थगित करते हुए आगे की तारीख निर्धारित की और रजिस्ट्रार जनरल से BCI के नियमों के तहत यह पुष्टि करने को कहा कि क्या ऐसा कोई नियम है, जिसके अंतर्गत यह स्थिति आती है।

अब रजिस्ट्रार जनरल ने बीसीआई के नियमों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और सभी वकीलों के लिए कोर्ट रूम में एक विशेष पोशाक में उपस्थित होना अनिवार्य है। हालांकि, इसके बाद एक अन्य वकील कादरी की जगह याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपस्थित हुआ, लेकिन कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित कर दी। अब नई न्यायाधीश जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी ने अपने आदेश में बीसीआई के नियमों का पालन करने की बात कही है।






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