Chaitra Navratri: माँ दुर्गा की आरती के बिना अधूरी है पूजा, जानें 'जय अम्बे गौरी' का महत्व

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के हर स्वरूप की पूजा के बाद 'जय अम्बे गौरी' आरती का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मां दुर्गा की आरती न केवल पूजा को संपन्न करती है, बल्कि भक्तों को मनोवांछित फल भी प्रदान करती है।

maa durga ki aarti

Chaitra Navratri : चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो चुकी है। 30 मार्च से 6 अप्रैल तक नवरात्रि मनाई जाएगी। इस साल माता रानी की नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। शास्त्रों में देवी की हाथी पालकी को बहुत शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि कल नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। नवरात्रि में हर दिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है। इतना ही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में आप यहां से मां दुर्गा की आरती, जय अम्बे गौरी, मैया जय अम्बे गौरी का पाठ पढ़कर अपनी पूजा संपन्न कर सकते हैं…



दुर्गा आरती का महत्व 

मां दुर्गा की आरती 'जय अम्बे गौरी' का नवरात्रि के दौरान एक विशेष महत्व है। यह आरती न केवल पूजा को पूर्ण करती है, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद भी लाती है। आरती को हिंदू धर्म में पूजा का एक अभिन्न अंग माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि आरती के बिना पूजा अधूरी रहती है। नवरात्रि में, जब भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, तो आरती का विशेष महत्व होता है। यह माना जाता है कि आरती देवी दुर्गा को प्रसन्न करती है और भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करती है। 'जय अम्बे गौरी' आरती का पाठ करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। यह माना जाता है कि मां दुर्गा का आशीर्वाद भक्तों पर हमेशा बना रहता है, जिससे उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आरती भक्तों को समृद्धि और सौभाग्य भी प्रदान करती है। आरती न केवल सकारात्मक ऊर्जा लाती है, बल्कि घर और परिवार से नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है। देवी की कृपा से, जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आती है। आरती का नियमित पाठ भक्तों को मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान करता है

NIHER


दुर्गा जी की आरती

दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी… 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । 

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । 

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । 

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । 

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । 

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती । 

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । 

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । 

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों । 

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥


इस संसार की माता, तुम हो पालन करता 

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी । 

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । 

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥ 


मैया जी आरती , जो भी जन गावे 

 कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ 

ॐ जय अम्बे गौरी..॥