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Maghi Purnima: माघी पूर्णिमा का हिंदू धर्म में महत्त्व, जानें महाकुंभ का विशेष योगदान

हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का अत्यधिक महत्व है, जिसे माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, विशेष रूप से प्रयागराज के पवित्र संगम में, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।

Maghi Purnima

Maghi Purnima: हिंदू धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्त्व है, जिसे माघी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। माघी पूर्णिमा का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


माघी पूर्णिमा 2025 और महाकुंभ का विशेष महत्त्व

इस वर्ष माघी पूर्णिमा का महत्व और भी अधिक है क्योंकि प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर, संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु एकत्र हो रहे हैं। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी जैसे प्रमुख स्नान के बाद भी माघी पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है। इस दिन किए गए स्नान और दान-पुण्य को अत्यंत फलदायी माना जाता है।


माघी पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, माघी पूर्णिमा इस वर्ष 12 फरवरी 2025 को पड़ रही है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6:55 बजे प्रारंभ होकर 12 फरवरी 2025 को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, माघी पूर्णिमा का पर्व 12 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

प्रातः 5:19 बजे से 6:10 बजे तक (ब्रह्म मुहूर्त)

प्रातः 7:02 बजे से 8:25 बजे तक

प्रातः 8:25 बजे से 9:49 बजे तक

इन शुभ मुहूर्तों में गंगा स्नान और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।


माघी पूर्णिमा पर स्नान और दान का महत्त्व

माघी पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद दान-पुण्य करना आवश्यक माना गया है। इस दिन विशेष रूप से अन्न, तिल, गुड़, घी और वस्त्र का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की भी परंपरा है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


महाकुंभ 2025 और श्रद्धालुओं की आस्था

महाकुंभ 2025 में माघी पूर्णिमा का विशेष स्थान है। संगम पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम इस दिन आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य प्राप्ति और मोक्ष की कामना करते हैं। इस महाकुंभ में माघी पूर्णिमा के दिन का स्नान धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।


धार्मिक परंपरा और लाभ

माघी पूर्णिमा पर की जाने वाली पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्य व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह पर्व जीवन में आध्यात्मिकता और धार्मिकता का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति और धन-वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


माघी पूर्णिमा 2025 का पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्त्व रखता है। गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। महाकुंभ 2025 में इस पर्व का आयोजन इसे और भी विशेष बना देता है। श्रद्धालुओं के लिए यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर हर व्यक्ति को स्नान, दान और पूजा-अर्चना कर अपने जीवन को पुण्य और शांति से भरने का प्रयास करना चाहिए।

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