Mahashivratri 2025: भगवान शिव को जल अर्पित करने की प्रथा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल पुण्य फल प्रदान करता है और भक्त को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है। शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को चरणामृत के समान माना जाता है। इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ होता है।
ध्यान रखें दिशा: जल अर्पित करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए, क्योंकि पूर्व दिशा भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है।
परिक्रमा न करें: जल अर्पित करने के बाद परिक्रमा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। भगवान भोले की आधी परिक्रमा का विधान है।
महाशिवरात्रि और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन एक लोटा जल अर्पित करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं और मानसिक शांति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी इस दिन विशेष लाभकारी माना जाता है।
अन्य दिनों में जल चढ़ाने के लाभ
मंगलवार: सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
बुधवार: विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
गुरुवार: शिक्षा में सफलता मिलती है।
शुक्रवार: वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।
शनिवार: अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
रविवार: माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
जल चढ़ाने की विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठकर एक लोटा ताजा जल लेकर धीरे-धीरे शिवलिंग पर अर्पित करें।गंगा जल मिलाना शुभ होता है और ध्यान रखें कि मन शांत हो।
भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष ग्रहण किया था, जिससे उनकी गर्मी को कम करने के लिए देवताओं ने उन पर जल प्रवाहित किया। तभी से भगवान शिव पर जल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।