Shivling Puja during pregnancy: गर्भावस्था में शिवलिंग पूजन करने में क्या सही है और क्या नहीं? जानिए शास्त्र और विज्ञान की दृष्टि से
Shivling Puja during pregnancy: क्या गर्भवती महिला को शिवलिंग पूजन करना चाहिए? जानिए ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार इसका महत्व, लाभ और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान।

Shivling Puja during pregnancy: भारतीय संस्कृति में गर्भावस्था को जीवन का एक अत्यंत पवित्र और भावनात्मक काल माना जाता है। इस दौरान महिला के विचार, व्यवहार और भावनाएं न केवल उसके खुद के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में, आध्यात्म से जुड़ाव, विशेषकर देवी-देवताओं की पूजा, मन की शांति और ऊर्जा बनाए रखने में सहायक मानी जाती है।
लेकिन क्या गर्भवती महिला को शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए?इस प्रश्न को लेकर कुछ लोग संशय में रहते हैं, लेकिन शास्त्रों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसकी कोई मनाही नहीं है।ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शिवजी की पूजा सरल, सहज और सर्वसुलभ है। शिव को भोलेनाथ कहा जाता है, जो भक्ति और भावनाओं से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शास्त्रों में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि गर्भवती महिला शिवलिंग पूजन नहीं कर सकती।बल्कि इसके विपरीत, शास्त्रों में यह कहा गया है कि गर्भवती महिला को शुभ विचारों, मंत्रोच्चारण, और भगवद्गीता के पाठ से जुड़े रहना चाहिए, ताकि शिशु पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
गर्भावस्था में शिवलिंग पूजन करने के प्रमुख लाभ
गर्भावस्था में शिवलिंग पूजन करने से तनाव में राहत मिलती है। गर्भावस्था के दौरान महिला को हार्मोनल बदलावों के कारण चिंता, भावनात्मक असंतुलन और तनाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में प्रतिदिन कुछ समय शिव पूजा करने से मन शांत रहता है। नकारात्मक विचारों में कमी आती है। अनावश्यक भय और बेचैनी से मुक्ति मिलती है। शिवलिंग पूजन के दौरान मंत्रोच्चारण या ध्यान करने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा का सीधा प्रभाव गर्भस्थ शिशु के मानसिक और बौद्धिक विकास पर पड़ता है।गर्भवती महिला का शरीर ऊर्जा के प्रति संवेदनशील होता है। शिव की पूजा करने से घर और गर्भ में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। अगर कुंडली में कोई ग्रह दोष हो तो उससे राहत मिलती है। बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा होती है।
प्रेग्नेंसी में किन बातों का रखें ध्यान
अधिक समय तक खड़े रहकर पूजा न करें, बैठकर पूजा करें।अगर जमीन पर बैठना कठिन हो, तो कुर्सी या छोटी टेबल पर पूजा करें।निर्जला व्रत या कठिन उपवास से बचें। केवल संकल्प और जलार्पण पर्याप्त है।अगर मंदिर दूर है या सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल है तो घर पर छोटी शिवलिंग स्थापित करके पूजा करें।
प्रेगनेंसी में पूजन विधि
सुबह नहा कर साफ-सुथरा कपड़ा पहनें। शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल अर्पित करें।“ॐ नमः शिवाय” का 11 या 21 बार जाप करें। मानसिक रूप से बच्चे के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। अगर संभव हो तो धीमे स्वर में शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। याद रखें, पूजा का उद्देश्य नियम नहीं, भक्ति और ऊर्जा का संचार है।