Inspirational Story: बुद्ध की प्यास और जीवन का सबक, गंदे पानी से साफ सीख, धैर्य रखो, गालियां सहो, मगर कर्म न छोड़ो

Inspirational Story: इस कहानी में ज्ञान की ज्योति से ज्यादा चर्चा है एक गंदी नदी और उससे निकले साफ पानी की।....

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बुद्ध की प्यास और जीवन का सबक- फोटो : meta

Inspirational Story: महात्मा बुद्ध की ये कहानी कोई साधारण किस्सा नहीं, बल्कि जीवन का वो दर्शन है, जो आज भी हमें गंदगी से भरे इस संसार में साफ रास्ता दिखाता है। बात उस जमाने की है, जब बुद्ध अपने शिष्यों के साथ पैदल-पैदल गांव-गांव घूमकर बौद्ध धर्म का अलख जगा रहे थे। कोई गाड़ी-घोड़ा नहीं, सिर्फ दो पैर और मन में ज्ञान की ज्योति! लेकिन इस कहानी में ज्ञान की ज्योति से ज्यादा चर्चा है एक गंदी नदी और उससे निकले साफ पानी की। 

प्यासे बुद्ध और गंदी नदी का तमाशा

बुद्ध जी अपने शिष्यों के साथ एक गांव में भटक रहे थे। उस जमाने में न तो बोतलबंद पानी था, न ही RO का झमेला। प्यास लगी, तो नदी ही एकमात्र सहारा। बुद्ध ने अपने पहले शिष्य को फरमान सुनाया, "जाओ, पानी ले आओ!" शिष्य दौड़ा-दौड़ा नदी पर पहुंचा, लेकिन वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए। नदी में लोग कपड़े धो रहे थे, कुछ नहा रहे थे, और पानी ऐसा गंदा कि लगे जैसे कोई कीचड़ का सूप बना रहा हो। शिष्य ने सोचा, "अरे, गुरु जी को ये गंदा पानी कैसे दूं? मेरी तो इज्जत चली जाएगी!" बस, खाली हाथ वापस लौट आया।

बुद्ध की प्यास तो बढ़ती जा रही थी। उन्होंने दूसरे शिष्य को भेजा। ये शिष्य थोड़ा चतुर निकला। वो भी नदी पर पहुंचा, वही गंदा पानी देखा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने कुछ देर इंतजार किया। लोग चले गए, कीचड़ नीचे बैठ गया, और ऊपर साफ पानी चमकने लगा। शिष्य ने वो साफ पानी लिया और बुद्ध के पास पहुंच गया। बुद्ध ने पानी पिया, मुस्कुराए, और पूछा, "नदी तो गंदी थी, फिर ये साफ पानी कैसे?" शिष्य ने पूरी कहानी सुनाई, और यहीं से बुद्ध ने अपने शिष्यों को जीवन का वो सबक दिया, जो आज भी हमारे काम आता है।

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जीवन का गंदा पानी और धैर्य की कैंची

बुद्ध ने कहा, "हमारा जीवन भी इस नदी की तरह है। जब कर्म अच्छे होते हैं, तो सब कुछ साफ और शुद्ध। लेकिन जैसे ही कर्मों का चक्कर गड़बड़ाता है, दुख, समस्याएं, और बुराइयां जीवन के पानी को गंदा कर देती हैं।" पहले शिष्य की तरह कुछ लोग गंदगी देखकर घबरा जाते हैं। वो मुसीबतों से डरकर भाग खड़े होते हैं, और उनका जीवन वही कीचड़ भरा रहता है। लेकिन दूसरे शिष्य की तरह जो धैर्य रखते हैं, वो इंतजार करते हैं। वो जानते हैं कि गंदगी हमेशा नहीं रहती। समय के साथ कीचड़ नीचे बैठ जाता है, और जीवन फिर से साफ हो जाता है।

बुद्ध का ये दर्शन कितना गजब है! वो कहते हैं, "जीवन में गालियां मिलें, मार पड़े, या मुसीबतों का पहाड़ टूटे, डटे रहो। गंदे पानी में ही तो जहरीले सांप-बिच्छू रहते हैं। लेकिन धैर्य और अच्छे कर्मों से तुम उस पानी को साफ कर सकते हो।" बहरहाल "जिंदगी में गम हो, बॉस की डांट पड़े, या पड़ोसी की जलन सताए, बस थोड़ा सब्र रखें, सब ठीक हो जाएगा!"

बहरहाल अपने जीवन के पानी का निरीक्षण —कहीं वो गंदा तो नहीं हो रहा? अगर हां, तो धैर्य रखें, अच्छे कर्म करें, और इंतजार करें। गंदगी नीचे बैठ जाएगी, और हमारा  जीवन फिर से चमक उठेगा। बस, ये मत भूले कि बुद्ध का धैर्य और सावधानी का मंत्र हर मुसीबत में काम आता है!

संपादक कौशलेंद्र प्रियदर्शी की विशेष रिपोर्ट