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जानें कैसे हुई थी शिवलिंग की हुई उत्पत्ति? आखिर क्या है भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच पैदा हुए विवाद की कहानी, क्या है इसका महत्व?

शिवलिंग की उत्पत्ति और उसका महत्व शिव पुराण में विस्तार से बताया गया है। जानें शिवलिंग का अर्थ, इसकी कथा और महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजा का महत्व।

जानें कैसे हुई थी शिवलिंग की हुई उत्पत्ति? आखिर क्या है भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच पैदा हुए विवाद की कहानी, क्या है इसका महत्व?
शिवलिंग की उत्पत्ति - फोटो : SOCIAL MEDIA

Mahashivratri Shivalinga: महाशिवरात्रि का पर्व हिंदुओं के काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव का विवाह मां पार्वती के साथ किया जाता है। इस बार ये पर्व आगामी 26 फरवरी को मनाया जाएगा, जब देशभर में मौजूद हर शिव मंदिर से बाबा भोलेनाथ की बारात निकलेगी। उसके पीछे लोगों की टोली झूमते-गाते माता पार्वती को ब्याह कर लाएंगे। भगवान शिव समस्त देवी-देवताओं में बेहद प्रमुख माने जाते हैं. लोग उनकी आराधना करने के लिए शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके लिए लोग अपनी श्रद्धा अनुसार शिवलिंग पर पानी, दूध या शहद चढ़ाते हैं. भगवान शिव को धतूरा, बेल का पत्ता और भांग काफी पसंद है। इस वजह से श्रद्धालु इन सभी चीजों का भी शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।

हालांकि, आज हम आपको इस बात की जानकारी देगें की आखिर शिवलिंग की उत्पत्ति हुई कैसे? इसका असली मतलब क्या होता है? इसके पीछे की कहानी क्या है?  बता दें कि भगवान शिव के रूप के तौर पर शिवलिंग को पूजा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग की पूजा करने से सभी मन की मुराद पूरी होती है। खासकर तब जब भक्त इसकी पूजा महाशिवरात्रि के मौके पर करते हैं। पूरे ब्रह्मांड के प्रतीक के रूप में ज्योतिर्लिंग या शिवलिंग को माना जाता है। इसकी उत्पत्ति कैसे हुई इसको लेकर कई तरह की कहानी सुनने के मिलती है।

शिवलिंग का अर्थ

शिवलिंग का अर्थ है कल्याणकारी सृजन। "शिव" का अर्थ कल्याण और "लिंग" का अर्थ सृजन है। इस प्रकार, शिवलिंग सृष्टि और कल्याण का प्रतीक है। शिवलिंग के दो प्रमुख प्रकार हैं:

ज्योतिर्लिंग – जिसे पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है।

पारद शिवलिंग – जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।

शिवलिंग का अस्तित्व मन, चित्त, ब्रह्म, माया, जीव, बुद्धि, आकाश, वायु, अग्नि, जल, और पृथ्वी से मिलकर होता है, जो सृष्टि के सभी तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।

शिवलिंग की उत्पत्ति की पौराणिक कथा

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई, तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद हुआ कि कौन अधिक शक्तिशाली है। इसी बीच एक रहस्यमयी चमकीला पत्थर प्रकट हुआ। तभी स्वर्ग से एक दिव्य आवाज आई कि जो इस पत्थर का अंत खोजेगा, वही सर्वशक्तिमान होगा।भगवान विष्णु ने पत्थर के नीचे जाने की कोशिश की, लेकिन अंत तक नहीं पहुंच पाए। ब्रह्मा जी ने पत्थर के ऊपर जाने की कोशिश की, लेकिन वे भी अंत तक नहीं पहुंचे। बावजूद इसके, ब्रह्मा जी ने झूठा दावा किया कि उन्होंने अंत पा लिया है। तभी आकाश से दिव्य आवाज आई, जिसमें कहा गया, "मैं शिवलिंग हूं, मेरा न कोई अंत है और न ही कोई शुरुआत।" तभी भगवान शिव प्रकट हुए और यह घटना शिव की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक बन गई।

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