Mahakumbh Stories: प्रयागराज की पवित्र भूमि और मौनी अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान करने को अमृत स्नान कहा जाता है, जिससे करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य अर्जन के लिए एकत्रित होते हैं।लेकिन इस वर्ष, महाकुंभ में बड़ा हादसा हो गया।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रात करीब 1 बजे संगम नोज पर भीड़ बढ़ने से भगदड़ मच गई, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई।
क्यों महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान है खास?
हिंदू धर्म में महाकुंभ और मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है।माना जाता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।यही वजह है कि महाकुंभ में साधु-संतों से लेकर आम श्रद्धालु तक बड़ी संख्या में गंगा स्नान करने आते हैं।भगदड़ की घटना संगम नोज पर हुई, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर स्थित है। यहां स्नान करना सबसे अधिक पुण्यकारी और मोक्षदायक माना जाता है।
गंगा और मोक्ष का आध्यात्मिक संबंध
गंगा को हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गंगा तट पर मौत के अलग-अलग मायने हैं। महाभारत के अनुसार जब तक अस्थियां गंगा में रहती हैं, तब तक मृत आत्मा स्वर्ग में वास करती है।
पद्मपुराण के अनुसार: अगर कोई व्यक्ति बिना इच्छा के भी गंगा में प्राण त्यागता है, तो वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।"
गंगा तट पर मृत्यु: शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जो लोग गंगा तट पर मृत्यु को प्राप्त होते हैं, उन्हें सीधे भगवान विष्णु के परमधाम में स्थान मिलता है।
धार्मिक स्थलों पर मृत्यु: कहते हैं कि धार्मिक स्थलों पर यमराज और उनके दूतों का प्रवेश निषेध होता है। इसलिए जो व्यक्ति इन स्थानों पर प्राण त्यागते हैं, वे सीधे परमात्मा में विलीन हो जाते हैं।
काशी, बद्रीनाथ और प्रयागराज में मृत्यु को क्यों माना जाता है शुभ?
काशी (वाराणसी):भगवान शिव की नगरी में मृत्यु होने पर आत्मा को मोक्ष मिलता है। मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव मरते हुए व्यक्ति के कान में मंत्र फूंकते हैं, जिससे उसकी आत्मा मुक्त हो जाती है।
बद्रीनाथ: बद्रीनाथ में प्राण त्यागने से आत्मा सीधे परमात्मा से मिल जाती है।
प्रयागराज (इलाहाबाद): प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
यहां मृत्यु को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना जाता है।
क्या महाकुंभ में हुई मृत्यु मोक्ष का द्वार है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रयागराज में संगम तट पर मृत्यु होने से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल सकती है।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अहं बीजप्रदः पिता" अर्थात मैं सभी जीवों का परम पिता हूं, और मृत्यु आत्मा की नई यात्रा का आरंभ है।
स्कंदपुराण में कहा गया है: जो भी गंगा के तट पर प्राण त्यागता है, उसकी आत्मा सीधे मोक्ष को प्राप्त होती है।
कुंभ में स्नान के दौरान मृत्यु:
कुछ विद्वानों का मानना है कि महाकुंभ में मृत्यु परमात्मा में विलीन होने का संकेत हो सकती है।इसीलिए, कुंभ में भगदड़ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा को विशेष मोक्ष प्राप्ति की संभावना बताई जाती है।
महाकुंभ में मौनी अमावस्या
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ एक दुखद घटना है, जिसमें 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। हालांकि, हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा तट पर मृत्यु होना मोक्ष प्राप्ति का संकेत माना जाता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि धार्मिक स्थलों पर मृत्यु से आत्मा को परमधाम की प्राप्ति होती है।