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Premanand maharaj On rebirth: महज इतने दिन में हो जाता है इंसानों का पुनर्जन्म! प्रेमानंद महाराज का बड़ा दावा

प्रेमानंद महाराज ने सत्संग में पुनर्जन्म के रहस्यों पर प्रकाश डाला और बताया कि मृत्यु के बाद पुनर्जन्म किसका होता है और यह कब होता है। जानिए आध्यात्मिक जीवन का सत्य।

Premanand maharaj On rebirth: महज इतने दिन में हो जाता है इंसानों का पुनर्जन्म! प्रेमानंद महाराज का बड़ा दावा
Premanand Maharaj- फोटो : social media

Premanand maharaj On rebirth: प्रेमानंद महाराज, जो आजकल सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहते हैं, अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं। उनके सत्संग से प्रेरित होकर कई श्रद्धालु उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं और जीवन की समस्याओं से निपटने का सामर्थ्य प्राप्त करते हैं। हाल ही में, प्रेमानंद महाराज ने पुनर्जन्म के रहस्यों पर चर्चा की और बताया कि मृत्यु के बाद किसका पुनर्जन्म होता है और यह कब होता है।

पुनर्जन्म का रहस्य: किसका होता है पुनर्जन्म?

प्रेमानंद महाराज ने अपने सत्संग में कहा कि यदि व्यक्ति के मन में वासना रहती है, तो उसका पुनर्जन्म निश्चित होता है। उन्होंने प्रसिद्ध संत उड़िया बाबा जी महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि वासना रखने वाले उपासक का पुनर्जन्म होना निश्चित है। उड़िया बाबा जी महाराज, जो ब्रह्म प्राप्त और भागवत प्राप्त महापुरुष माने जाते हैं, कहते हैं कि यदि मन में वासना होगी तो व्यक्ति को पुनर्जन्म लेना ही पड़ेगा। प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि यदि किसी महात्मा ने कह दिया कि आपकी वासना को लेकर कोई पाप नहीं है, तो आपको उसका दंड भी नहीं मिलेगा। यह महापुरुषों के आशीर्वाद का प्रभाव है और उनके शब्दों को कभी भी संशय में नहीं लेना चाहिए।

वासना के प्रभाव से पुनर्जन्म

महाराज ने आगे कहा कि मन में वासना रखना पुनर्जन्म का कारण बनता है। उन्होंने उदाहरण के रूप में महाराज भरत जी का जिक्र किया, जिनका अगला जन्म हिरण का हुआ था क्योंकि उनके मन में हिरण के प्रति ममता हो गई थी। इसी प्रकार, यदि व्यक्ति के मन में किसी चीज़ की वासना रह जाती है, तो उसे उसी से संबंधित पुनर्जन्म लेना पड़ता है। उन्होंने कहा, "अगर मन में वासना होगी, तो आपका पुनर्जन्म होना निश्चित है, और यह जन्म निकृष्ट भी हो सकता है।"

पुनर्जन्म कब और कैसे होता है?

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और मन में वासना रहती है, तो जब तक वह वासना पूरी नहीं होती, तब तक पुनर्जन्म होता रहता है। यह जरूरी नहीं है कि पुनर्जन्म हमेशा मानव के रूप में ही हो; यह वासना के प्रकार के आधार पर हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति वासना से मुक्त नहीं हो सकता, तो उसे गुरु की मदद लेनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि गुरुदेव, इष्टमंत्र, और इष्टदेव को जीवनभर एक ही रखना चाहिए और इन्हें कभी बदलना नहीं चाहिए।

प्रेमानंद महाराज की प्रसिद्ध पदयात्रा

प्रेमानंद महाराज की वृंदावन में निकलने वाली पदयात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, हाल ही में वे अपनी पदयात्रा के विरोध के कारण भी चर्चाओं में रहे थे। उनके अनुयायी देश-विदेश से आते हैं और उनके आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित होते हैं।

प्रेमानंद महाराज के सत्संग

प्रेमानंद महाराज के सत्संग से मिले आध्यात्मिक ज्ञान ने पुनर्जन्म के रहस्यों को और स्पष्ट किया है। वासना का मन में होना ही पुनर्जन्म का मुख्य कारण है, और इसके प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को गुरु की सहायता लेनी चाहिए। उनके सत्संग से यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में सही मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति वास्तविक शांति और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

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