Premanand Ji Maharaj teachings: दुनिया की बुरी नजरों से है अगर बचना तो प्रेमानंद जी महाराज की इन 4 बातों का रखें ध्यान, जानें पूरी बात

Premanand Ji Maharaj teachings: जानिए प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार भजन, भोजन, खजाना और यारी को गुप्त रखने के पीछे का आध्यात्मिक रहस्य। इस लेख में उनके विचारों की गहराई और आत्मिक अनुशासन पर विस्तृत जानकारी पाएं।

Premanand Ji Maharaj teachings
प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश- फोटो : social media

Premanand Ji Maharaj teachings: प्रेमानंद जी महाराज केवल एक संत नहीं, बल्कि आत्मिक अनुशासन और जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल शब्दों में समझाने वाले महापुरुष माने जाते हैं। उनका विशेष जोर इस बात पर रहता है कि मनुष्य को अपनी कुछ बातें गुप्त रखनी चाहिए, विशेषकर चार चीजें: भजन, भोजन, खजाना और यारी। उनका यह दृष्टिकोण केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक है। आइए, इन चार बातों को समझें:

क्यों जरूरी है भक्ति का गुप्त रहना?

भजन, जाप और साधना आत्मिक ऊर्जा को जागृत करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार ईष्ट प्रेम को छुपाना चाहिए, जितना छुपाएंगे उतना बढ़ेगा।"जब कोई व्यक्ति अपनी भक्ति का प्रदर्शन करता है तो वह दिखावे का हिस्सा बन जाती है और उसका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाता है।

बार-बार प्रदर्शन करने से ध्यान बंटता है।दूसरों की प्रतिक्रिया और प्रशंसा की अपेक्षा साधना में विक्षेप लाती है।साधना का असली आनंद आत्मा में ही महसूस किया जाता है, दूसरों को दिखाने में नहीं।

व्यावहारिक उदाहरण: मंदिर में जाकर घंटों ध्यान करना, लेकिन सोशल मीडिया पर उसका प्रचार करने से साधना का फल क्षीण हो जाता है।

भोजन को गुप्त रखने का महत्व: भोजन केवल शारीरिक आवश्यकता नहीं, बल्कि आत्मिक संतुलन बनाए रखने का भी साधन है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं भोजन करते समय ध्यान और एकांत आवश्यक है। यदि व्यक्ति बार-बार खाने-पीने का प्रदर्शन करता है, तो वह तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।

तामसिक प्रवृत्ति का अर्थ: दिखावे, लालच और भोग में बढ़ोतरी।भोजन को फैशन या स्टेटस सिंबल बना लेना।एकाग्रता से भोजन करने पर पाचन शक्ति बढ़ती है।मन शांत रहता है और शरीर अधिक ऊर्जा प्राप्त करता है।भोजन करते समय टीवी, मोबाइल या सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें।सार्वजनिक भोजनों में भी संयम रखें।

खजाना यानी धन को गुप्त क्यों रखें?

दिखावा और मानसिक अशांति का संबंध धन और संपत्ति का प्रदर्शन समाज में ईर्ष्या और लालच को जन्म देता है। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार अपनी चीजों को जितना प्रकाशित करेंगे, उतना क्षीण हो जाएगा। धन का दिखावा करने से चोरी, डकैती और धोखाधड़ी के खतरे बढ़ जाते हैं।रिश्तों में भी ईर्ष्या और कलह का कारण बनता है।व्यक्ति लगातार तनाव में रहता है कि कहीं उसका धन सुरक्षित है या नहीं।आत्म-संतोष की भावना कम हो जाती है।मनुस्मृति और महाभारत में भी धन को गुप्त रखने की सलाह दी गई है।

यारी यानी मित्रता को गुप्त रखने का कारण निजी रिश्तों में बाहरी हस्तक्षेप से बचाव होता है।मित्रता विश्वास और अपनापन का नाम है। लेकिन यदि इसे बार-बार सार्वजनिक किया जाए, तो उसमें दूसरों की नजर लग सकती है।

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जितना ज्ञान, विज्ञान और अनुभव छुपाएंगे, उतना बढ़ेगा। रिश्तों में गोपनीयता बनाए रखने से विश्वास बढ़ता है।बार-बार पोस्ट करने या प्रचार करने से ईर्ष्या और गपशप का कारण बनता है।मित्रता में तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप अक्सर गलतफहमी का कारण बनता है।अपनी मित्रता और गहरे संबंधों को निजी रखें।सोशल मीडिया पर अत्यधिक पोस्टिंग से बचें।