Mystery of Kashi Crematorium: मोक्ष की नगरी काशी में इन पांच तरह के शवों को क्यों नहीं जलाया जाता, आइए जानते हैं इसके पीछे का राज

Mystery of Kashi Crematorium: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है। हर एक इंसान की यह इच्छा होती है कि अगर मेरी मृत्यु हो तो काशी में मेरा दाह-संस्कार किया जाए ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो, लेकिन यहां पांच तरह के शवों को जलाने पर बैन है।...पढ़िए आगे

Mystery of Kashi Crematorium: मोक्ष की नगरी काशी में इन  पां
काशी में इन शवों को क्यों नहीं जलाया जाता- फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N Desk: मोक्ष की नगरी काशी का हिन्दु धर्म में विशेष स्थान है। ऐसा माना जाता है कि जिनकी मृत्यु काशी में होती है, उन्हें सीधे मुक्ति मिल जाती है।इसिलिए काशी को मुक्ति और मोक्ष के लिए जाना जाता है। अपनी जिंदगी के आखिरी समय में कई लोग काशी को अपना ठिकाना बना लेते हैं।

काशी के कई श्मशान घाट ऐसे हैं, जहां चिता चौबीसों घंटे जलती रहती है। यहां चिता की राख ठंडी नहीं होती।लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता है कि काशी की धरती पर पांच लोगों की लाशें कभी नहीं जलाई जाती. इन लाशों को श्मशान से भी लौटा दिया जाता है

सोशल मीडिया पर एक नाविक ने एक वीडियो साझा करके इस राज से पर्दा उठाया है। आइये जानते हैं इसके पीछे के कारण

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नाविको ने पर्यटकों को बताया कि  सबसे पहला नाम साधुओं का आता है.साधुओं की लाश को जलाया नहीं जाता। इनकी बॉडी को या तो जल समाधि दी जाती है या फिर थल समाधि। यानी या तो साधुओं की बॉडी को पानी में बहा दिया जाता है या फिर जमीन में दफ़न कर दिया जाता है।

इस सूची में दूसरे नंबर पर आता है छोटो बच्चों की बॉड़ी। छोटे बच्चों की बॉडी को भी काशी में नहीं जलाया जा सकता। बारह साल से कम उम्र में यदि किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो उसे जलाया नहीं जाता। बारह से कम उम्र के बच्चे भगवान का रूप माने जाते हैं। इस कारण इन्हें जलाने पर पाबंदी है।

इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है प्रेग्नेंट महिलाएं। नाविक ने बताया कि इन महिलाओं का पेट फूल जाता है। ऐसे में यदि इनकी बॉडी को जलाया जाएगा तो चिता पर इनका पेट फट जाएगा और अंदर पल रहा बच्चा उछल कर ऊपर की तरफ उड़ जाएगा. ये देखने में अच्छा नहीं लगेगा. इस कारण प्रेग्नेंट महिलाओं की बॉडी को भी नहीं जलाया जाता।

जिस इंसान की मौत सांप के काटने से होती है, उसे भी काशी में नहीं जलाया जाता। नाविक ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि सांप के काटने से जिसकी मौत हुई हो, उसके दिमाग में 21 दिनों तक प्राण रहता है। ऐसे में इनकी लाश को केले के तने से बांधकर पानी में बहा दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि अगर किसी तांत्रिक की नजर इस लाश पर पड़ जाती है तो वो उसे जिंदा कर सकता है। इस कारण इनकी बॉडी को जलाया नहीं जाता।

इसके अलावा चर्म रोग या कुष्ट रोग के मरीज की मौत होने पर भी उसकी लाश को काशी में नहीं जलाया जाता। बताया जाता है कि इनकी बॉडी को अगर जलाया जाता है तो बिमारी के बैक्टेरिया हवा में फ़ैल जाते हैं और इससे अन्य लोग भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं. इसी कारण से इनकी लाश को काशी में जलाने पर पाबंदी है।