Sawan 2025: सावन का पावन महीना आज से शुरु, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत और भोग, ऐसे करें महादेव की आराधना पूरी होगी हर मनोकामना
Sawan 2025: सावन का पावन महीना आज से शुरु हो गया है। आज सावन के पहले दिन भगवान शिव का पूजा किस मुहूर्त में करें और क्या भोग लगाएं आइए जानते हैं....

Sawan 2025: शिव भक्तों का इंतजार खत्म हुआ और आज से सावन मास की शुरुआत हो गई। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सावन के पहले दिनों शिवालय में शिव भक्तों की भारी भीड़ जुटी है। महादेव की जलाभिषेक और पूजा पाठ के लिए शिव भक्त सुबह से ही मंदिर पहुंचे हैं। अगले एक माह कर शिव भक्त हर दिन बाबा की आराधना कर उन्हें प्रश्न करने की कोशिश में लगे रहेंगे।
सावन में भगवान शिव के आराधना का विशेष महत्व
सावन का यह पवित्र महीना 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है। इस दौरान की गई पूजा-अर्चना और व्रत से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है। खासकर सावन के सोमवार और 16 सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है।
सावन के पहले दिन के पूजन मुहूर्त
शिवभक्तों के लिए आज का दिन बेहद खास है। सावन के पहले दिन शिवपूजन के लिए निम्नलिखित 4 शुभ मुहूर्त बताए गए हैं।
पहला मुहूर्त: सुबह 4:16 बजे से 5:04 बजे तक
दूसरा मुहूर्त: सुबह 8:27 बजे से 10:06 बजे तक
तीसरा मुहूर्त: दोपहर 12:05 बजे से 12:58 बजे तक
चौथा मुहूर्त: शाम 7:22 बजे से 7:41 बजे तक
सावन सोमवार की तिथियां
इस बार सावन में कुल 4 सोमवार आएंगे-
पहला सोमवार: 14 जुलाई
दूसरा सोमवार: 21 जुलाई
तीसरा सोमवार: 28 जुलाई
चौथा सोमवार: 4 अगस्त
पूजन विधि और व्रत का महत्व
सावन में शिवभक्त प्रायः पूरे माह या कम से कम हर सोमवार उपवास रखते हैं। प्रतिदिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित कर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। सावन में रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना गया है। पूजा के दौरान शिवलिंग पर दूध कम मात्रा में अर्पित करने की सलाह दी जाती है। सावन माह में भगवान शिव के अलावा माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। इस दौरान हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। कई भक्त सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार का व्रत भी आरंभ करते हैं।
सावन में क्या क्या ना करें
सावन में जल की बर्बादी न करें।
पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें।
बासी, भारी भोजन, मांस-मदिरा से दूर रहें।
तेज धूप में बाहर निकलने से बचें।
सावन माह का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने सावन में ही ग्रहण किया था। तभी से उन्हें इस महीने विशेष रूप से जल अर्पित करने की परंपरा है। मान्यता है कि सावन में विधिवत पूजा करने से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
शिव पूजन विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, अक्षत व गंगाजल अर्पित करें। घी का दीपक व धूप जलाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें, शिव चालीसा पढ़ें और आरती करें।
शिवजी के प्रिय मंत्र और भोग
भगवान शिव का प्रिय मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। शिव को खीर, मालपुआ, ठंडाई, सफेद मिठाइयाँ, पंचामृत और फल अर्पित करें।