Sawan First Somwar 2025: सावन की पहली सोमवारी आज, शिवालयों में उमड़ी भक्तों की सैलाब, जानिए महादेव की विधिवत पूजा के नियम, पूरी होगी हर मनोकामना
Sawan First Somwar 2025: आज सावन की पहली सोमवारी है। ऐसे में आज शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा पाठ कर रहे हैं।

Sawan First Somwar 2025: श्रावण मास की पहली सोमवारी आज देशभर में श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाई जा रही है। सुबह से ही शिवालयों में हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। शिव भक्त गंगाजल, दूध, दही, शहद व बेलपत्र से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं। मान्यता है कि सावन के सोमवार को विधिपूर्वक पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
जल में डालें शमी, आक व नीलकंठ पुष्प, बेलपत्र पर लिखें ‘ॐ नमः शिवाय’
श्रावण सोमवारी में जल चढ़ाना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है कि जल में कुछ विशेष पुष्प भी डालें। उन्होंने कहा कि जल पात्र में शमी का फूल, आक का फूल और नीलकंठ पुष्प डालकर शिवलिंग पर अर्पित करने से हर प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं। साथ ही बेलपत्र पर ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिव को अर्पित करना अतिशुभ माना गया है। ध्यान रखें बेलपत्र उल्टा न हो और उसमें तीन पत्ते अवश्य हों।
व्रत के साथ ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप और दान करें
श्रावण सोमवारी के दिन उपवास रखते हुए दिनभर ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें और सूर्यास्त के बाद शिव आरती व दीपदान करें तो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार को काले तिल का दान करना, गरीबों को वस्त्र या भोजन देना भी अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है।
सोमवारी व्रत से विवाह योग और दाम्पत्य सुख
सोमवारी व्रत विशेष रूप से योग्य वर या वधु की प्राप्ति के लिए प्रभावशाली माना गया है। ऐसी मान्यता है कि स्वयं माता पार्वती ने भी शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर सोमवार व्रत किया था। इसलिए कुंवारी कन्याएं इस दिन निर्जल या फलाहारी रहकर व्रत करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दाम्पत्य जीवन की खुशहाली के लिए यह व्रत करती हैं।
पुरुष भी कर सकते हैं सोमवारी व्रत
बता दें कि, सोमवारी का व्रत पुरुष भी रख सकते हैं। यह व्रत जीवन में संतुलन, मानसिक शांति, आर्थिक स्थिरता तथा संतान सुख प्रदान करने वाला माना गया है। व्रतधारी को दिनभर शिव का स्मरण करते हुए सात्विक आचरण अपनाना चाहिए और रात्रि में शिव चालीसा व आरती कर व्रत का पारण करना चाहिए। सावन मास को भगवान शिव को अर्पण का महीना कहा जाता है। जितनी श्रद्धा से शिव का अभिषेक व पूजन किया जाएगा। उतनी ही उनकी विशेष कृपा प्राप्त होगी।