Naag Panchami 2025: सावन में इस दिन मनाया जाएगा नाग पंचमी, जानिए पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और विशेष योग

Naag Panchami 2025: सावन में कई व्रत त्योहार मनाया जाता है। जिसमें एक अहम दिन होता है नाग पंचमी। आइए जानते हैं नाग पंचमी का किस दिन मनाया जाएगा और पूजा की सही विधि और मुहूर्त..

Naag Panchami 202
Naag Panchami 202- फोटो : social media

Naag Panchami 2025: सनातन धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है और इस दौरान पड़ने वाले प्रत्येक पर्व का विशेष महत्व होता है। नाग पंचमी भी सावन मास का एक प्रमुख पर्व है। जो इस वर्ष 29 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। बता दें कि सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन के दो सोमवारी हो चुके हैं। 9 अगस्त को सावन का समापन होगा। वहीं 29 जुलाई को नागपंचमी मनाया जाएगा। 

नाग पंचमी की तिथि 

नाग पंचमी पंचमी तिथि को मनाया जाता है जो 28 जुलाई 2025 को रात 11:24 बजे से शुरु होकर 30 जुलाई 2025 को रात 12:46 बजे खत्म हो रही है। वहीं सनातन में सूर्योदय आधारित गणना होते है जिसके कारण नाग पंचमी पर्व की मान्य तिथि 29 जुलाई 2025 को है। इस दिन नाग पंचमी मनाई जाएगी। 

पूजा की शुभ मुहूर्त

पूजा की शुभ मुहूर्त की बात करें तो सुबह 05:14 बजे से 07:55 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इस अवधि में शिव भक्त और साधक भगवान शिव, मां पार्वती और नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा कर सकते हैं।

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा कर उन्हें दूध, फूल और कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से कालसर्प दोष, सांप से भय, और संतान संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही शिव-पार्वती और नाग देवता की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

विशेष योग और संयोग

इस वर्ष नाग पंचमी पर तीन प्रमुख योगों का विशेष संयोग बन रहा है। शिव योग, रवि योग और शिववास योग। इन योगों में पूजा करने से विशेष पुण्य फल और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव मां पार्वती संग कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं और उनके साथ नाग देवता की आराधना करने से विशेष फल मिलता है।

करण और नक्षत्र

करण पहले बव करण, फिर बालव करण और नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र। इन शुभ योगों में नाग देवता की पूजा से व्यक्ति को आरोग्य, धन, संतान सुख और कुटुंब सुख की प्राप्ति होती है। नाग पंचमी पर पूजा के दौरान नागों की मूर्ति या चित्र पर दूध चढ़ाकर विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन किसी भी सर्प को नुकसान न पहुंचाएं, यह व्रत प्रकृति, जीव-जंतुओं और विशेषकर नागों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।