पटना।बिहार के माध्यमिक विद्यालयों में पूर्व से निर्धारित 11 पदों में से 03 पदों की कटौती कर दी गयी है। पहले से सभी माध्यमिक विद्यालयों में ऐसे सभी पद वित्त विभाग द्वारा सृजित थे। 02 अक्टूबर 1980 को वित्त विभाग एवं महालेखाकार द्वारा अधिसूचना संख्या 1999 के द्वारा बिहार गजट के असाधारण अंक में प्रकाशित किया गया जिसमें प्रत्येक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, एक लिपिक एवं दो आदेशपाल होंगे, इस तरह प्रत्येक माध्यमिक विद्यालयों में विषय शिक्षक के 09 पद सृजित थे। परन्तु शिक्षा विभाग ने 5 फरवरी के अपने आदेश से 06 पदों की कटौती कर दी है। अब तीन ही शिक्षक को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, बंगला, मैथिली, फारसी एवं अरबी पढ़ाने का आदेश दिया गया।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव एवं पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा है कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विषय शिक्षकों की रिक्तियों के आधार पर ही नियुक्ति की जा रही है जिनकी न्यूनतम योग्यता स्नातकोत्तर ही है। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत के अलग शिक्षक होते हैं। लेकिन निदेशक के पत्र में हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक को अंग्रेजी पढ़ाने की भी बाध्यता है जो अवैज्ञानिक, अव्यवहारिक तथा बिना सोचे-समझे लिया गया फैसला है जिससे छात्र-छात्राओं को भी पठन-पाठन के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान विषय में एक ही शिक्षक अंकित किया गया है जबकि भौतिकी, रसायन तथा जीव विज्ञान का स्नातक स्तर पर पढ़ाने का विषय समूह अलग-अलग होता है।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि उच्च माध्यमिक विद्यालय में कुल 05 विज्ञान विषय समूह में से विभाग ने जन्तु विज्ञान एवं वनस्पति शास्त्र में से एक ही पद स्वीकृत किया है, जबकि इन दोनों विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त शिक्षक ही अध्यापन कार्य कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में यह सर्वथा असंतुलन पैदा करनेवाला आदेश है एवं बच्चों को विज्ञान एवं तकनीकि विस्फोट के युग से अज्ञानता की दुनिया में ले जाने से बच्चों में मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा होगा। छात्र-छात्रओं की अभिरुचि के विरूद्ध दबाव से उनकी प्रतिभा को कुन्द करने से विभाग को बाज आना चाहिए। 12 भाषाओं की विषयों में से 08 पद की कटौती कर दी गयी है। उसी तरह कला में 08 की जगह 04 करना छात्र-छात्रओं के प्रति अपराध है। जबकि राज्य सरकार ने एक ओर प्रत्येक पंचायत मुख्यालय में उच्च माध्यमिक विद्यालयों के संचालन की स्वीकृति दे दी है जहां पढ़ाई भी हो रही है और पूर्व से निर्धारित मानक के आधार पर उन विद्यालयों के बच्चे उन विषयों का अध्ययन भी कर रहे हैं। अब इस आदेश से वहां से ऐसे शिक्षकों को हटा देने का अपराध विभाग करेगा और छात्र-छात्रओं को अन्यत्र दूरी पर स्थित विद्यालय में इसलिए जाना पड़ेगा क्योंकि उस विषय के शिक्षक को अन्यत्र भेजा जा रहा है।
सिंह ने कहा है कि हिंदी से स्नातकोत्तर शिक्षक को यह आदेश दिया जा रहा है कि वे संस्कृत भी पढ़ायेंगे। जबकि उनका इण्टर से लेकर स्नातकोत्तर तक संस्कृत विषय नहीं रहा है। जहाँ तक 60 विद्यार्थियों से अधिक नामांकन होने पर एक अतिरिक्त उपकक्षा संचालन करने का निर्देश है तो ऐसी स्थिति में उपकक्षा का निर्माण होते ही पूर्व से निर्धारित सभी विषयों के शिक्षकों की मानक संख्या की आवश्यकता होगी।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ, तिरहुत शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद प्रो. संजय कुमार सिंह ने अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में एवं कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद डॉ. संजीव कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को यह सुझाव दिया है कि माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पूर्व से स्वीकृत पद एवं अध्ययन-अध्यापन के विषय में कटौती नहीं की जाय। भारतीय संविधान में स्वीकृत उर्दू, संस्कृत, मैथिली, बंगला -इन विषयों में किसी प्रकार के कटौती संविधान का उल्लंघन है। अतः जो छात्र-शिक्षक अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं विषय एवं पदों की कटौती उनके भविष्य से खिलवाड़ करना होगा और इसके गंभीर परिणाम होंगे। ऐसी स्थिति में, छात्र-अभिभावक किसी का भी सपना पूरा नहीं किया जा सकता है।