Bihar Vidhansabha Election: असदुद्दीन ओवैसी का बिहार में शुरू हुआ चुनावी आगाज, AIMIM का मुस्लिम गोलबंदी का सीक्रेट प्लान, इन सीटों पर करेंगे खेला

बिहार की करीब 18 फीसदी मुस्लिम आबादी की नुमाइंदगी करने और उन्हें अपने दल के लिए गोलबंद करने के बड़े अभियान की शुरुआत AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कर दी है. वे बिहार में 3 और 4 मई को इसे लेकर तीन जगहों पर सभा करने वाले हैं जो राजद और कांग्रेस के लिए

Asaduddin Owaisi in Bihar
Asaduddin Owaisi in Bihar- फोटो : news4nation

Bihar Vidhansabha Election: AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी अपने 2 दिवसीय बिहार दौरे पर किशनगंज पहुंचे हैं. ओवैसी शनिवार को बहादुरगंज में चुनावी जनसभा के बाद  4 मई को मोतिहारी के ढाका में दूसरी मीटिंग करेंगे और उसी दिन उनका गोपालगंज में भी कार्यक्रम हैं. ओवैसी का बिहार दौरा राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए AIMIM का चुनावी आगाज माना जा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी ने पहले ही घोषणा की है कि वे इस बार बिहार में पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा सीटों पर अपनी पार्टी से उम्मीदवार उतारेंगे. साथ ही बिना राजद का नाम लिए उन्होंने कहा कि सीमांचल और बिहार के लोग उन दलों को सबक सिखाएंगे जिन्होंने उनके विधायकों को चुराया था. ओवैसी का इशारा राजद की ओर था जिसने एआईएमआईएम के चार विधायकों को तोडकर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था. 


बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 पर जीत भी हासिल की थी।  इतना ही नहीं, कई सीटों पर आरजेडी के प्रत्याशियों की हार में भी ओवैसी के प्रत्याशियों को जिम्मेदार माना गया था। ऐसे में अब एक बार फिर से ओवैसी ने बिहार में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर ली है. बिहार में हुई जातीय गणना के हिसाब से राज्य में मुस्लिम आबादी करीब 18 फीसदी है. विशेषकर सीमांचल के जिलों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार आदि में मुस्लिम बहुल इलाके माने जाते हैं. किशनगंज में करीब 67 फीसदी मुस्लिम आबादी मानी जाती है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी असदुद्दीन औवेसी को इस इलाके में बड़ी सफलता मिली थी. 


सीमांचल से मिथिलांचल तक दस्तक

बिहार चुनाव को लेकर ओवैसी अभी से अपनी पूरी ताकत लगाने की तैयारी में हैं. यही कारण है कि न सिर्फ सीमांचल के जिलों में बल्कि मिथिलांचल हो या अन्य इलाके तमाम जगहों पर अपनी पार्टी के लिए बेहतर जमीन तलाशने की कोशिश में हैं. अपनी पार्टी को बिहार में विस्तार देने के लिए ही इस बार वे 4 मई को मोतिहारी के ढाका और गोपालगंज भी जा रहे हैं. ओवैसी की पार्टी ने उन सीटों का डेटा भी तैयार किया है जहां मुस्लिम मतदाताओं की प्रभावशाली संख्या है. इसलिए पिछले चुनाव में जहां 18 सीटों पर एआईएमआईएम ने उम्मीदवार उतरा था वहीं इस बार कई अन्य सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी है. इसमें मिथिलांचल और सारण के इलाके में कई सीटें हैं जो मुस्लिम मतदाताओं के लिहाज से बेहद अहम हैं. 

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राजद-कांग्रेस को लगेगा झटका 

सियासी जानकारों का मानना है कि बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के मजबूत होने से सबसे बड़ा झटका राजद और कांग्रेस को लगेगा. एआईएमआईएम को लेकर हमेशा से माना जाता है कि वह मुस्लिम समुदाय की प्रमुखता से नुमाइंदगी करते हैं. विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी के दल को पांच सीटों पर मिली सफलता उसी का परिणाम था. ऐसे में इस बार अगर असदुद्दीन ओवैसी फिर से बिहार में मजबूत होते हैं तो यह राजद और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका रहेगा. दरअसल, लालू यादव की पार्टी राजद का शुरू से एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण का हिसाब रहा है. अगर मुस्लिम वोटरों ने राजद का साथ छोड़ा तो राजद को कई सीटों पर मुश्किलों का सामना करता होगा. इसी तरह कांग्रेस को भी ओवैसी का मजबूत होना मुश्किल में डालेगा. लोकसभा चुनाव में किशनगंज और कटिहार से कांग्रेस के दो सांसद मुस्लिम समुदाय से ही जीते थे जिनकी जीत में मुस्लिम वोटरों के गोलबंदी प्रमुख मानी गई. ओवैसी इस बार इन इलाकों में कांग्रेस को बड़ा नुकसान दे सकते हैं.