सम्राट- अशोक के बाद एनडीए के इन नेताओं की पोल खोलेंगे पीके ! विधानसभा चुनाव के पहले होगा सबसे बड़ा खुलासा
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले खुद को राज्य के मुख्य दल के रूप में स्थापित करने की पीके की रणनीति में जल्द ही एनडीए के कई नेताओं को लेकर बड़ा खुलासा हो सकता है.

Prashant Kishore : चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने चुनावी राज्य बिहार में कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत किशोर, जिन पर विपक्षी दल अक्सर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाते रहे हैं, ने राज्य में सत्तारूढ़ एनडीए के सदस्यों पर अपना तीखा हमला बोला है। अब तक उनके निशाने पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, मंत्री अशोक चौधरी, मंगल पांडे और भाजपा सांसद संजय जायसवाल शामिल हैं। जन सुराज पार्टी के प्रमुख ने इन नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर लगे आरोपों में उन पर बार-बार अपना नाम बदलना और दस्तावेज़ों में हेराफेरी करना, शैक्षणिक रिकॉर्ड में विसंगतियाँ, दसवीं कक्षा की परीक्षा पास किए बिना डी.लिट. की डिग्री प्राप्त करना, सुप्रीम कोर्ट में नाबालिग होने का "झूठा" दावा करके दशकों पुराने हत्या के मामले में मुकदमे से बचना शामिल रहा है।
वहीं मंत्री अशोक चौधरी, जिन्हें प्रशांत किशोर ने "बिहार का सबसे भ्रष्ट नेता" कहा है, उन पर आरोप है कि वे अपनी बेटी और सांसद शांभवी चौधरी और रिश्तेदारों के नाम पर 200 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित किए हैं। ज़मीन की कई ख़रीद सहित धोखाधड़ी वाले ज़मीन सौदों में संलिप्त होना शामिल रहा है। हालांकि संबंधित नेताओं ने आरोपों से इनकार किया है, लेकिन प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि उनके पास उनके खिलाफ अपने आरोपों को साबित करने के लिए कागजात हैं। भाजपा की बिहार इकाई ने प्रशांत किशोर के खिलाफ जवाबी हमला करते हुए उनकी जन सुराज पार्टी को "धोखाधड़ी पर आधारित एक राजनीतिक स्टार्टअप" बताया है। राज्य भाजपा ने प्रशांत किशोर पर "शेल कंपनियों" के जरिए "सैकड़ों करोड़ रुपये" जुटाने का आरोप लगाया है।
पीके पर क्यों चुप है भाजपा
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रशांत किशोर के आरोपों पर चुप्पी साध रखी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोलकर उनके आरोपों को तूल नहीं देना चाहती। जानकारों का मानना है कि भाजपा के लिए, राज्य में अभी तक मुख्य प्रतिद्वंदी लालू और उनकी पार्टी राजद ही हैं, इसलिए वे उन्हीं पर हमले केंद्रित कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने काफ़ी समर्थन और मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन वे अभी भी राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए मुख्य चुनौती बनने से बहुत दूर हैं। प्रशांत किशोर के ख़िलाफ़ अब कोई भी जवाबी कार्रवाई या प्रतिक्रिया उनके आरोपों को बल देगी और शायद यही वजह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनके अभियान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
नीतीश कुमार की बढाई मुश्किल
अशोक चौधरी पर लगे आरोपों के बाद बिना किसी आश्चर्य के जेडी(यू) तुरंत नीतीश कुमार का बचाव करने के लिए हरकत में आ गई। जेडी(यू) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 20 साल के कार्यकाल में अपनी ईमानदारी और निष्ठा से राजनीति को नई परिभाषा दी है। आज तक कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप साबित कर सके। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए। नीतीश कुमार 'ज़ीरो टॉलरेंस' के प्रतीक हैं।
अब किसकी पोल खोलेंगे पीके
सियासी जानकारों का मानना है कि पीके का हमला अभी आगे भी जारी रहेगा। उनके निशाने पर मुख्य रूप से सत्तारूढ़ दलों के नेताओं के रहने की संभावना है। पीके द्वारा सम्राट चौधरी, अशोक चौधरी जैसे नेताओं पर हमलावर होने का बड़ा फायदा पीके को मिला है। दो दिन पहले ही आये सी-वोटर सर्वे में पीके को बिहार का अगला मुख्यमंत्री चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 35 फीसदी पसंद के साथ तेजस्वी यादव पहले नम्बर पर हैं जबकि 16 फीसदी के साथ नीतीश कुमार तीसरे नम्बर पर हैं। वहीं प्रशांत किशोर दूसरे नम्बर पर आ गए हैं। ऐसे में आगे आने वाले दिनों पीके कुछ अन्य नेताओं को लेकर बड़ा खुलासा करेंगे यह तय माना जा रहा है।