Bihar Election 2025: बिहार के नेता जी विरोधियों को नहीं कह सकेंगे '420'. पहली बार बदल गई धराएं, जान लीजिए पूरी खबर

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा से पहले कई कानूनी धराओं मे बदलाव हुई है। राज्य में अब विरोधियों को नेता जी 420 नहीं कह सकेंगे। क्योंकि ‘चार सौ बीसी’ की जगह अब BNS की धारा 318 लागू हो गई है....पढ़िए आगे...

मतदान
बदल गए कई कानून - फोटो : social media

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में अहम और अलग होने वाला है। ऐसा पहली बार हो रहा जब नेताओं की जुबान से दशकों पुराने जुमले सुनने को नहीं मिलेंगे। नेताजी अब चार सौ  बीसी, 107 और 144 गायब रहेंगे। इसकी बड़ी वजह ये है कि 1 जुलाई 2024 से लागू देश में नई आपराधिक काननों ने भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता पूरी तरह खत्म हो गया है।  1 जुलाई 2024 से देश में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब उनकी जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)लागू हो चुके हैं ।

‘चार सौ बीसी’ की जगह अब BNS की धारा 318

राजनीति और आम बोलचाल में “चार सौ बीसी” यानी IPC की धारा 420 सबसे चर्चित वाक्यांश रहा है जो धोखाधड़ी और बेईमानी के लिए इस्तेमाल होता था। अब इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 ने ले ली है। यानी तकनीकी रूप से अब किसी को “420” कहना कानूनी तौर पर अप्रासंगिक हो गया है। हालांकि लोगों की बोलचाल से यह संख्या इतनी जल्दी गायब होने की संभावना कम है।

मतदान केंद्रों के आसपास अब धारा 163 लागू होगी

पहले चुनावों के दौरान मतदान केंद्रों से 200 मीटर के दायरे में भीड़ नियंत्रण और शांति बनाए रखने के लिए CrPC की धारा 144 लगाई जाती थी। अब इसकी जगह BNSS की धारा 163 लागू होगी। यानी बूथ प्रबंधन से लेकर प्रशासनिक कार्रवाई तक, सबको नए प्रावधानों के अनुसार काम करना होगा।

कार्यकर्ताओं पर नहीं लगेगा ‘107’, अब लागू होगी धारा 126

विरोध प्रदर्शन या शांति भंग की आशंका पर अक्सर CrPC की धारा 107 का प्रयोग होता था। नए कानूनों के तहत अब यह जिम्मेदारी BNSS की धारा 126 निभाएगी। चुनावी रणनीति बनाने वाले राजनीतिक दलों को भी अब अपने पुराने कानूनी संदर्भ बदलने होंगे। इन बदलावों के साथ बिहार का यह विधानसभा चुनाव न सिर्फ सियासी तौर पर, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी नई व्यवस्था के तहत होने वाला पहला चुनाव बन जाएगा।